राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़

जब अमेरिका ने भारतीय उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ाया था, तब माना जा रहा था कि भारतीय निर्यातकों को बड़ा झटका लगेगा। टेक्सटाइल, ज्वेलरी और समुद्री उत्पाद जैसे सेक्टर पर असर की आशंका थी। लेकिन भारत ने इस चुनौती को ‘मौका’ बना दिया। आज हालात ये हैं कि जहां अमेरिका ने मुंह मोड़ा, वहीं यूएई, वियतनाम, बेल्जियम और सऊदी अरब जैसे देशों ने भारतीय उत्पादों के लिए अपने बाजार खोल दिए। वाणिज्य मंत्रालय के ताज़ा आंकड़े बताते हैं कि भारत ने अमेरिकी बाजार पर निर्भरता घटाते हुए एशिया, यूरोप और मध्य पूर्व में नई पहचान बनाई है। जनवरी से सितंबर 2025 के बीच भारत के निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

वियतनाम और बेल्जियम बने नए खरीदार
भारत के समुद्री उत्पादों के निर्यात में पिछले साल की तुलना में 15.6% की बढ़ोतरी हुई है। वियतनाम को निर्यात 100.4% और बेल्जियम को 73% बढ़ा है। चीन, जापान और मलेशिया जैसे देशों में भी भारतीय सी-फूड की मांग तेजी से बढ़ रही है
 

टेक्सटाइल सेक्टर में नई चमक
अमेरिकी टैरिफ के बावजूद भारतीय कपड़ा उद्योग ने भी मजबूती दिखाई है। जनवरी से सितंबर 2025 के बीच टेक्सटाइल निर्यात 1.23% बढ़कर 28.05 अरब डॉलर तक पहुंच गया। यूएई को कपड़ा निर्यात 8.6% बढ़ा है, जबकि नीदरलैंड, पोलैंड और मिस्र में भी भारतीय टेक्सटाइल की मांग उछली है
 भारत का बदलता व्यापारिक नक्शा
यह बदलाव सिर्फ आंकड़ों की कहानी नहीं है, बल्कि भारत की वैश्विक रणनीति का प्रमाण है। अब भारतीय निर्यात किसी एक देश पर निर्भर नहीं, बल्कि विविध बाजारों में फैला हुआ है। विशेषज्ञों के मुताबिक, यह भारत के लिए आर्थिक आत्मनिर्भरता और ‘मेक इन इंडिया’ का नया अध्याय साबित हो सकता है। 

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