राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली/वॉशिंगटन:
संयुक्त राष्ट्र में हाल ही में पारित वैश्विक सीजफायर प्रस्ताव को लेकर भारत और अमेरिका के बीच कूटनीतिक तकरार एक नए मोड़ पर पहुंच गई है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने भारत पर दबाव बनाकर इस प्रस्ताव का समर्थन कराया था — और इसके लिए उन्होंने व्यापारिक रिश्तों में सख्ती की धमकी तक दी थी। भारत ने इस बयान को “पूरी तरह झूठा और भ्रामक” बताया है।

ट्रंप ने अपने एक बयान में कहा, हमने भारत से कहा कि अगर वे सीजफायर का समर्थन नहीं करेंगे, तो उन्हें व्यापार में मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। इसके बाद उन्होंने समर्थन दिया।” ट्रंप के इस दावे ने भारतीय कूटनीति हलकों में हलचल मचा दी है।

भारतीय विदेश मंत्रालय ने ट्रंप के इस बयान को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि भारत ने अपने सिद्धांतों और वैश्विक शांति के प्रति प्रतिबद्धता के तहत सीजफायर प्रस्ताव का समर्थन किया था। मंत्रालय के प्रवक्ता ने तीखी प्रतिक्रिया में कहा, “यह कहना कि भारत को धमकाकर समर्थन दिलवाया गया, सरासर गलत है। हम अमेरिका सहित सभी देशों के साथ आपसी सम्मान पर आधारित रिश्ते चाहते हैं, न कि दबाव या धमकी पर।”

विशेषज्ञों का मानना है कि यह बयान आगामी अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों की रणनीति का हिस्सा हो सकता है, जहां ट्रंप वैश्विक मामलों में अपनी ‘कठोर छवि’ दिखाना चाहते हैं। वहीं, भारत इस बात पर जोर देना चाहता है कि वह अपनी विदेश नीति में स्वतंत्र और संप्रभु निर्णय लेता है।

पूर्व राजदूत और रणनीतिक मामलों के जानकार विवेक कातजू ने कहा, ट्रंप के बयान का कोई आधार नहीं है। भारत ने हमेशा शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन किया है। अमेरिका का ऐसा दावा द्विपक्षीय संबंधों को नुकसान पहुंचा सकता है।”

फिलहाल यह मामला केवल बयानबाज़ी तक सीमित है, लेकिन यदि ट्रंप प्रशासन इसे आगे भी उठाता है, तो भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।

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