राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज नेटवर्क।
लखनऊ। विधान मंडल के मानसून सत्र में विधान परिषद में प्रतिपक्ष के नेता लाल बहादुर यादव ने जनपद के पुलिस अधीक्षक और जिला अधिकारियों द्वारा फोन ना उठाए जाने पर आपत्ति जताई। उन्होंने इस मामले में सराकार से स्पष्टीकरण की बात कहते हुए अपनी बात रखी।
विधान मंडल प्रतिपक्ष के नेता लाल बहादुर यादव द्वारा सभापति को एक प्रश्न के माध्यम से अवगत कराया गया। कहा कि उनके द्वारा बनारस में जब पुलिस आयुक्त को फोन किया गया तो उनके पीआरओ द्वारा पहले उनका नाम पूछा गया और उसके बाद पार्टी का नाम पूछा गया। क्योंकि उन्होंने बनारस में चर्च में पुलिस को सूचना देने का काम किया था। पुलिस आयुक्त के पीआरओ द्वारा सीधे बात नहीं कराई गई। यह मामला काफी संगीन है। ऐसे ही कई प्रकरण और भी जनपदों में देखने को मिलते हैं। इस पर सरकार की ओर से सत्ता पक्ष के नेता उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद ने कार्यवाही करने का आश्वासन दिया। आपको बताते चले कि उत्तर प्रदेश के सभी पुलिस अधीक्षकों और जिला अधिकारियों को सीयूजी नंबर उपलब्ध कराए गए हैं। यह नंबर सीधे जनता से बात करने के लिए और जनप्रतिनिधियों से बात करने के लिए दिए गए हैं। पर हकीकत में ज्यादातर जिलों में जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षकों के पीआरओे फोन उठाकर केवल दो-तीन बातें बताते हैं। कभी कहते हैं कि साहब मीटिंग में है तो कभी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का हवाला देकर बाद में फोन करने की बात कह देते हैं। यह अलग बात है कि उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ हमेशा इस बात पर जोर देते रहते हैं की जनता की सेवा में जो प्रशासन का अधिकारी हैं वह फोन रिसीव कर समस्याएं अवश्य सुनें। बरहाल इस बार के मानसून सत्र में सत्ता पक्ष को कई मुद्दों को अपना स्पष्टीकरण देना पड़ा, जिसमें यह भी एक मामला सम्मिलित था।
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