राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज नेटवर्क
बांदा। जनपद में शुगर, हार्ट, बवासीर जैसे असाध्य रोगों से पीड़ित लोगों के लिए सेवानिवृत पीसीएस अधिकारी का बगीचा संजीवनी दे रहा है। बगीचे में सुबह से ही लोगों का भीड़ लग जाती है। क्योंकि बीमारियों से राहत पाने को रोजाना बड़ी संख्या में लोग यहां फूल पत्तियों के रस का सेवन करते हैं। यह जूस उनको शारीरिक समस्याओ से राहत पहुंचाने में रामबाण साबित हो रहा है। इसे रस का कमाल ही कहेंगे कि महज तीन साल में रिटायर्ड अपर आयुक्त का यह बगीचा पर्यावरण संरक्षण के साथ प्राकृतिक दवाखना बन गया है।
बताते चलें कि सात वर्ष पहले देवीपाटन मंडल में अपर आयुक्त पद से रिटायर हुए। 1992 बैच के पीसीएस अधिकारी अच्छेलाल बांदा के निवासी हैं। शहर के समीप त्रिवेणी चौराहा बाईपास में उनका एक बाग़ लहलहा रहा है। जो अब एक प्रकार का परोपकारी बगीचा बन गया है। बाग़ में कई अलग अलग प्रजातियों के पेड़ पौधे लगे हैं इनमें तुलसी, चंदन, रुद्राक्ष से लेकर आम, अमरुद, पपीता, अंगूर व सिंदूर तक शामिल हैं। यहां रोजाना सुबह सुबह सैकड़ो लोग अपने अपने मर्ज से छुटकारा पाने को फूल पत्तियों से तैयार जूस का सेवन करते हैं। इनमें अधिकतर शहर के प्रतिष्ठित व सरकारी सेवा से रिटायर्ड लोग शामिल हैं। ।बगीचे के मालिक सेवानिवृत पीसीएस अधिकारी अच्छेलाल स्वयं परिवार सहित प्रतिदिन इस जूस का सेवन करते हैं। अच्छेलाल बताते हैं कि उन्हें बचपन से ही बागवानी का शौक था। नौकरी में रहने के दौरान खूब पेड़ पौधे लगाए और फिर यहां त्रिवेणी चौराहे में अपने लगभग डेढ़ एकड़ खेत पर बाग़ लगाया। जो आज हरियाली व फल फूल से लहलहा रहा हैं। उनका यह बगीचा आस पास का पर्यावरण शुद्ध रखने के साथ विभिन्न प्रकार की बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए प्राकृतिक दवाखना बन गया है। बाग़ में मेडिसिन वैल्यू वाले करीब चालीस प्रकार के पेड़ पौधों का रस लोगों को दिया जाता है। जो उन्हें राहत पहुंचाने में एक प्रकार से प्राकृतिक टानिक का काम करता है। बगीचे में लगे तुलसी, अश्वगंधा, गिलोय, हरसिंगार नीम, सहजन, पपीता, शंखपुष्पी, दूब आदि से बने जूस का सेवन करने दूर दूर से लोग यहां आते हैं। भोर में चार बजे से फूल पत्तियों को पीसकर रस बनाने का काम शुरू हो जाता है। फिर सुबह आठ बजे तक इसका वितरण चलता है। इसका निशुल्क वितरण किया जाता है।
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