राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज नेटवर्क।

शाहाबाद-हरदोर्ई। शाहाबाद में चल रहे रामलीला के मंचन के दौरान काव्य पाठ हुआ। इस दौरान वीर व हास्य रस से भरी कविताएं सुनाकर कवियों ने सभी को मंत्र-मुग्ध कर दिया। 

रामलीला मैदान में आयोजित काव्य पाठ की अध्यक्षता स्थानीय कवि व रामलीला मेला के मीडिया प्रभारी ओमदेव दीक्षित ने की। अयोध्या से आए कवि ...साहित्य जहां की सरयू है नदियों से मा का नाता है, हम उसको देव समझते हैं जो अतिथि यहां पर आता है...सुनाकर तालियां बटोरी। स्थानीय कवि ओम अजीब शाहाबादी ने ...यह आर्यावर्त हमारा है, हम सब इसके सेनानी हैं।भारत के वीर सपूतों की ऐतिहासिक अमर कहानी है...सुनाकर माहौल को देशभक्ति मय कर दिया। लखीमपुर से आए कवि सुनीत वाजपेई ने... प्राण गंवाकर हमने पाई थी जो अब वह शान कहां, विश्व पटेल के मानचित्र पर पहले जैसा मन कहां..सुनाकर तालियां बटोरी। इसी के तहत लखनऊ आईं कवियत्री हेमा पांडेय ने... पग महावर लगाया तुम्हारे लिए रूप मैंने सजाया तुम्हारे लिए, सात जन्मों तलक तुम हमारे रहो, चांद को जल चढ़ाया तुम्हारे लिए...सुनाकर करवाचौथ पर प्रकाश डाला। 


 

मैगलगंज खीरी से आए कवि अरविंद कुमार ने... नेकियों सी मिलो, या बदी सी मिलो एक पल का करूं क्या, सदी सी मिलो..सुनाकर तालियां बटोरी। सीतापुर से आए कवि शुभम शुक्ला ने... तुम जरूर हो मेरी मगर, मेरी जां से ज्यादा नहीं हो,  तुम बहुत खूबसूरत हो लेकिन, मेरी मां से ज्यादा नहीं हो...सुनाकर मां की महिमा का बखान किया। हरदोई से आए कवि अजीत शुक्ल ने...पिता से उनकी पाई पाई बांट लेते हैं, दर ओ दीवार चारपाई बांट लेते हैं....सुनाकर पारिवारिक हालातों पर कटाक्ष किया। लखीमपुर खीरी से आए कवि विशेष शर्मा ने...बिटिया को वस्त्र भोजन भरपेट चाहिए। लड़ती न झगड़ती है भले लेट चाहिए..सुनाया। कवि सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में पीके वर्मा व विशिष्टï अतिथि के रूप में त्रिपुरेश मिश्रा मौजूद रहे।