-दिनेश दुबे -

राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़ नेटवर्क : अंग्रेजी हुकूमत के समय अंग्रेजों के विषय में कहा जाता था कि भारत पर राज करने के लिए वो जो पॉलिसी अपनाते थे उसे "डिवाइड एंड रूल्स" कहा जाता था। उसी तरह आजाद भारत में चुनावी जंग और सत्ता प्राप्ति के लिए भाजपा का पसंदीदा मुद्दा "हिंदू-मुस्लिम" था ! किंतु अब शायद ऐसा कहना पूर्णता उचित नहीं है ! सत्ता पाने और फिर सत्ता में बने रहने के लिए भाजपा के कई और भी फंडे हैं ! जिसमें "घर फोड़ों,परिवार तोड़ो" या फिर सत्ता में भागीदारी का लालच देकर जातियों के छोटे- छोटे नए गठजोड़ भी तैयार करना है।  भाजपा को यह तो पता है कि "लोहा ही लोहे को काटता है" किंतु उसे ये नहीं पता कि लोहे से लोहा काटने की एक खास तकनीक भी होती है। जो उसे मालूम नहीं है। 

यूपी के विधानसभा उप चुनाव में करहल विधान सभा सीट पर कुछ ऐसा ही प्रयोग करने जा रही है सत्तारूढ़ भाजपा ! जहां से भाजपा ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव के चचेरे भाई व आजमगढ़ से सपा सांसद धर्मेंद्र यादव के बहनोई अनुजेश प्रताप यादव को उनके ही भतीजे और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के दामाद तेज प्रताप यादव के सामने प्रत्याशी के रूप में उतारा है। यह बात अलग है कि सांसद धमेंद्र यादव अपने बहनोई अनुजेश प्रताप सिंह यादव से पांच साल पहले ही रिश्ता तोड़ने का ऐलान कर चुके हैं। किंतु इसके सपा के कोर वोटरों और बिरादरी सहित आम मतदाताओं में भ्रम फैलाने के उद्देश्य से भाजपा ने जो चाल चली है, उसका परिणाम किसी से छिपा नहीं है ? 

       भारतीय जनता पार्टी द्वारा गुरुवार को जारी की गई विधानसभा उप चुनाव के प्रत्याशियों की सूची में अनुजेश प्रताप यादव को करहल विधानसभा उपचुनाव का टिकट दिया है। जिन्हें रिश्ते में अपने ही भतीजे ( साले के बेटे ) तेज प्रताप सिंह यादव से लड़ना होगा। मुलायम सिंह यादव के भाई अभय राम सिंह यादव के दो बच्चे हैं, एक धर्मेंद्र यादव और दूसरी संध्या यादव। अनुजेश यादव संध्या यादव के पति हैं। सपा के टिकट पर लड़ रहे बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के दामाद और मैनपुरी के पूर्व सांसद तेज प्रताप सिंह यादव मुलायम सिंह के दूसरे भाई रतन सिंह यादव के पोते हैं। कन्नौज से इस साल लोकसभा चुनाव जीतने के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने करहल विधानसभा सीट छोड़ दी थी। भाजपा द्वारा अनुजेश यादव को इस सीट से प्रत्याशी बनाए जाने से अब इस सीट पर मुलायम परिवार के ही फूफा और भतीजे के बीच मुकाबला होगा। यूपी की करहल विधानसभा सीट पर सन 1993 से सपा का ही  लगातार कब्जा बना हुआ है। करहल से पहली बार सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के परिवार से खुद अखिलेश यादव ने सन 2022 का विधान सभा चुनाव लड़ा और भारी मतों से चुनाव जीतकर विधानसभा में नेता विपक्ष बने थे।

  चूंकि बिहार के मुख्यमंत्री रहे लालू प्रसाद यादव के दामाद तेज प्रताप सिंह यादव मैनपुरी लोकसभा सीट से एक बार सांसद रह चुके हैं। और बीते लोकसभा चुनाव में उन्हें कन्नौज से प्रत्याशी बनाने के बाद सपा ने चुनाव मैदान से हटा लिया था।जबकि मैनपुरी से इस बार अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव चुनाव जीतकर लोकसभा गई हैं। इसलिए अब तेज प्रताप यादव को अखिलेश ने खुद अपनी सीट से विधानसभा लड़ाया है। उधर भाजपा प्रत्याशी बने अनुजेश प्रताप यादव की मां उर्मिला यादव दो बार विधायक रही हैं। अनुजेश की पत्नी और धर्मेंद्र की बहन संध्या भाजपा में हैं। अनुजेश प्रताप ने सन 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान ही भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे। 

          धर्मेंद्र यादव ने उसी समय एक बयान जारी कर कहा था कि भाजपा के किसी नेता से उनका कोई संबंध नहीं है। सपा सांसद ने मीडिया के लिए उस समय जारी अपील में पत्रकारों से कहा  था कि अनुजेश प्रताप सिंह को उनके बहनोई या रिश्तेदार के तौर पर ना दिखाया जाए। अनुजेश प्रताप सिंह की मां उर्मिला यादव सपा के टिकट पर घिरोर से दो बार विधायक रही हैं। उर्मिला यादव को 2011 में मुलायम सिंह ने पार्टी से निकाल दिया था। उसके बाद वो कांग्रेस में शामिल हो गई थीं। अनुजेश की पत्नी और धर्मेंद्र यादव की बहन संध्या यादव सपा के टिकट पर मैनपुरी की जिला पंचायत अध्यक्ष बनी थीं। लेकिन 2017 में सपा ही उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लायी थी। तब भाजपा की मदद से उनकी कुर्सी बची थी। और फिर उसके बाद अनुजेश प्रताप यादव भी बीजेपी में शामिल हो गए थे।

लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं

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