राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़ नेटवर्क

कोलंबो: श्रीलंका में 1 दिसंबर 2024 को अरविंद चित्रांश की पुस्तक 'गौरवशाली पूर्वांचल' का भव्य लोकार्पण किया गया। यह पुस्तक 25 करोड़ भोजपुरी वासियों और गरिमामई पूर्वांचल को समर्पित है, जिसे अंतरराष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हुआ है। कोलंबो के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में अरविंद चित्रांश का विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित होना भारतीय संस्कृति के प्रभाव का ऐतिहासिक क्षण था।



श्रीलंका और भारत के सांस्कृतिक, साहित्यिक और ऐतिहासिक संबंधों की परंपरा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुए कोलंबो-2024 अंतर्राष्ट्रीय संस्कृतिक सम्मेलन का आयोजन डॉ. अंजली मिश्रा, अंतर्राष्ट्रीय कथक नृत्यांगना द्वारा किया गया। इस तीन दिवसीय सम्मेलन में किर्गिस्तान, बांग्लादेश, फिजी, थाईलैंड जैसे देशों के कलाकारों, विद्वानों और प्रतिनिधियों के साथ भारत के अंतर्राष्ट्रीय कला संयोजक और भारतीय लोकसंस्कृति एवं लोककला के संरक्षक अरविंद श्रीवास्तव 'चित्रांश' का अंतर्राष्ट्रीय सम्मान किया गया। यह सम्मान आजमगढ़, पूर्वांचल और भारत के लिए गर्व का विषय है।



सम्मेलन में विशेष रूप से उपस्थित रहे स्वामी विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र के प्रतिनिधि, भारतीय उच्चायोग श्रीलंका के निर्देशक प्रोफेसर (डॉ.) अंकुरण दत्ता, श्रीलंका में भारतीय सांस्कृतिक एसोसिएशन के अध्यक्ष कैप्टन अनिर्बन बनर्जी, और अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक सम्मेलन के आयोजक हेशन गामगे। सम्मेलन में भारतीय सांस्कृतिक और साहित्यिक सम्मेलन के संयोजक अरविंद श्रीवास्तव 'चित्रांश' की उपस्थिति भी महत्वपूर्ण रही।

अलाप स्टूडियो प्राइवेट लिमिटेड के तत्वावधान में, इस सम्मेलन में अंतर्राष्ट्रीय कथक गुरु अफसर खान, प्रोफेसर जयंत कर शर्मा, डॉ. सविता तावड़े, थाईलैंड की नृत्यांगना सीथा नाटिया, किर्गिस्तान की प्रसिद्ध नृत्य निर्देशिका ऐक नेइट, बांग्लादेश, भारत और श्रीलंका के कलाकारों और प्रतिनिधियों ने अपनी प्रस्तुतियां दी। इन प्रस्तुतियों और उपस्थिति ने सम्मेलन को अत्यधिक सफल और प्रभावशाली बना दिया। सहयोगी रहे नृत्यांगना और गायिका दमित्रा हासिनी, नेवी दयांगा, गायिका नेलका थिलीनी और अन्य सहयोगियों ने मिलकर इस अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक सम्मेलन को सफल बनाया।

इस सम्मेलन ने न केवल भारत और श्रीलंका के बीच सांस्कृतिक रिश्तों को प्रगाढ़ किया, बल्कि पूर्वांचल को वैश्विक मंच पर सम्मानित किया और भारतीय संस्कृति को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।