
राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज नेटवर्क । कोलकाता कलकत्ता उच्च न्यायालय गुरुवार को पश्चिम बंगाल माध्यमिक विद्यालय सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) की ओर से सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के 44,000 से अधिक रिक्त पदों पर भर्ती के लिए आवेदन मांगने की नयी अधिसूचना जारी करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर सकता है। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दो दिन पहले मीडिया को बताया था कि नौवीं और दसवीं कक्षा के शिक्षकों के लिए अतिरिक्त 11,517 पद, ग्यारहवीं और बारहवीं के शिक्षकों के लिए 9,912 पद और ग्रुप-सी और डी स्तर पर 1,571 रिक्तियां समान चयन प्रक्रिया के लिए बनाई गयी हैं। कुल मिलाकर 44,000 से अधिक रिक्तियां भरी जानी हैं, जिसके लिए प्रक्रिया 31 दिसंबर से पहले पूरी होनी चाहिए। डब्ल्यूबीएसएससी ने मई में राज्य-सहायता प्राप्त स्कूलों के लिए 35,726 शिक्षकों की भर्ती के लिए एक अधिसूचना जारी की थी। इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने के लिए 31 मई तक अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया था। डब्ल्यूबीएसएससी की वेबसाइट पर प्रकाशित अधिसूचना के अनुसार, माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में नौंवी और दसवीं की कक्षा के लिए 23,312 शिक्षकों और कक्षा 11वीं -12वीं की कक्षा के लिए 12,514 शिक्षकों की भर्ती की जानी है। अदालत के सूत्रों ने कहा कि एकल न्यायाधीश अवकाश पीठ के न्यायमूर्ति पार्थ सारथी मुखर्जी के समक्ष मंगलवार को याचिकाओं का एक सेट दायर किया गया था, जिन्होंने याचिकाओं को अनुमति दी, जिस पर गुरुवार को पहली सुनवाई के लिए आ सकती हैं। याचिकाकर्ताओं में से एक लुबाना परवीन ने आरोप लगाया कि अधिसूचना ने तीन अप्रैल को उच्चतम न्यायालय द्वारा पहले जारी किए गए निर्देशों का उल्लंघन किया है जिसमें कथित तौर पर नौकरियों के लिए नकद के लिए पूरे 2016 पैनल को रद्द कर दिया गया था और 31 दिसंबर तक नयी नियुक्ति के लिए निर्देश दिया गया था, जिसके लिए 31 मई तक एक अधिसूचना जारी की जानी है। याचिकाकर्ताओं में से एक नकद-नौकरी घोटाले में पीड़ित उम्मीदवार है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता फिरदौस शमीम ने आरोप लगाया कि शीर्ष अदालत ने एक नए भर्ती नियम के “निर्माण” को अधिकृत नहीं किया है जो शिक्षण अनुभव के लिए 10 अंक आवंटित करता है। उनके तर्कों के अनुसार, डब्ल्यूबीएसएससी द्वारा चयन के लिए नया नियम यह है कि बर्खास्त शिक्षक 90 अंकों की परीक्षा देंगे जबकि अन्य आवेदक 100 अंकों की परीक्षा देंगे। न्यायालय ने 2016 के पैनल से नियुक्त स्कूल शिक्षकों के लिए नए चयन परीक्षा के प्रारूप और शीर्ष अदालत के आदेश से नौकरी गंवाने वाले ग्रुप-सी और डी कर्मचारियों को मासिक वजीफा देने के मुख्यमंत्री के फैसले को चुनौती देने वाली अलग-अलग याचिकाओं को सुनवाई के लिए भी अनुमति दे दी। कुल 25,752 स्कूली शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों (ग्रुप-सी और डी) के 2016 के पूरे पैनल को शीर्ष अदालत ने कई सुनवाई के बाद रद्द कर दिया था। पीठ ने कहा कि दागी और गैर-दागी उम्मीदवारों को अलग करने का कोई तरीका नहीं है। गौरतलब है कि राज्य सरकार की अपील पर शीर्ष अदालत ने 17 अप्रैल को कहा था कि गैर-दागी शिक्षकों को 31 दिसंबर तक सेवा में बने रहने की अनुमति दी जा सकती है, लेकिन उन्हें नए सिरे से चयन परीक्षा से गुजरना होगा। इन लोगों के लिए आयु सीमा में छूट की अनुमति देते हुए अदालत ने राज्य को 31 मई तक प्रक्रिया शुरू करने और इसे तीन महीने में पूरा करने का निर्देश दिया।