राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़ नेटवर्क
बिहार चुनाव के नतीजे उत्तर प्रदेश की सियासी हवा का रूख तय करेंगे। इसका सीधे असर पूर्वांचल पर पड़ना तय माना जा रहा है, क्योंकि पूर्वांचल और बिहार के करीब 10 जिलों में रोटी-बेटी का नाता है। तमाम कामगार भी यूपी में रहते हैं, जो मतदान के लिए बिहार पहुंचने लगे हैं। बिहार में पहले चरण में शामिल 18 जिलों की 121 सीटों पर छह नवंबर और दूसरे चरण के 20 जिलों की 122 सीटों पर 11 नवंबर को मतदान है। पहले चरण में नीतीश सरकार के 16 मंत्री मैदान में हैं।
इसमें यूपी से सटे गोपालगंज, भोजपुर, बक्सर, कैमूर, सीवान, सारण में पहले चरण में और अन्य जिलों में दूसरे चरण में मतदान है। उत्तर प्रदेश से बिहार की करीब 20 विधानसभा क्षेत्र सटे हुए हैं। पूर्वांचल से इन विधानसभा क्षेत्रों में रोटी बेटी का रिश्ता है। शिक्षा, चिकित्सा और रोजगार की दृष्टिकोण से निरंतर आना-जाना है। सियासी जानकारों का कहना है कि बिहार चुनाव परिणाम पूर्वांचल पर सीधे छाप छोडेगा। इतना ही नहीं बिहार के चुनाव परिणाम से उत्तर प्रदेश और भविष्य में होने वाले अन्य राज्यों के चुनाव परिणाम पर भी असर पड़ना तय है।

वरिष्ठ पत्रकार नागेंद्र कहते हैं कि इस चुनाव पर पूरे देश की निगाह लगी है। दोनों तरफ से सियासतदां भी एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। यहां का परिणाम जिस तरफ होगा, उधर के कार्यकर्ताओं के हौसले बुलंद होंगे। एनडीए की जीत हुई, तो यूपी ही नहीं अन्य राज्यों में भविष्य में होने वाले चुनाव के लिए माहौल बनेगा। यदि एनडीए की पराजय होती है तो विपक्षी दलों में नई ऊर्जा पैदा होगी। उनका आत्मबल बढेगा।

यह भरोसा होगा कि एकजुटता दिखाकर भाजपा के रथ को रोका जा सकता है। बिहार चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि पूर्वांचल में एक तरफ वाराणसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है, तो दूसरी तरफ गोरखपुर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का क्षेत्र हैं। इन दोनों क्षेत्रों में बिहार की बड़ी आबादी का किसी न किसी रूप में रिश्ता है।
पूर्वांचल का विकास बिहार में सत्ता वापसी का द्वार बनेगा
भाजपा पिछड़ा वर्ग काशी प्रांत के महामंत्री सुभाष कुशवाहा कहते हैं कि वाराणसी और गोरखपुर सहित पूरे पूर्वांचल का विकास बिहार में सत्ता वापसी का द्वार बनेगा। यही वजह है कि पूर्वांचल में रहने वाले लोग मतदान में हिस्सा लेने के लिए बिहार वापसी कर रहे हैं। समाजवादी चिंतक डॉ. मणेंद्र मिश्र कहते हैं कि भाजपा ने हमेशा अलगाववाद की सियासत की है।

पूर्वांचल की हकीकत से बिहार के सीमावर्ती जिलों के लोग वाकिफ हैं। ऐसे में इस बार बिहार के साथ ही यूपी में भी बदलाव की नींव पड़नी तय है। वह मानते हैं कि बिहार की हार-जीत पूर्वांचल की सियासी हवा का रुख तय करेगी और भविष्य के चुनाव पर भी इसका सीधा असर पड़ेगा।

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