राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़ नेटवर्क 

नई दिल्ली : भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा (LoC) पर पिछले कुछ वर्षों से लागू युद्धविराम समझौते के बावजूद, भारतीय वायुसेना और अन्य सुरक्षा एजेंसियों ने एयरस्पेस सुरक्षा को लेकर अपनी निगरानी और तैयारियों को और सुदृढ़ कर दिया है।

सूत्रों के अनुसार, यह फैसला क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों, ड्रोन गतिविधियों में बढ़ोतरी, और सीमावर्ती इलाकों में हो रही संदिग्ध गतिविधियों के मद्देनज़र लिया गया है। खासकर जम्मू-कश्मीर और पंजाब जैसे राज्यों में एयरस्पेस की सुरक्षा को लेकर अतिरिक्त संसाधनों की तैनाती की गई है।

भारतीय वायुसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “युद्धविराम भले ही लागू हो, लेकिन सतर्कता में किसी प्रकार की ढील नहीं दी जा सकती। आधुनिक निगरानी तकनीकों, रडार सिस्टम, और ड्रोन-रोधी प्रणालियों की मदद से हम किसी भी संभावित खतरे को पहले ही पहचान कर कार्रवाई करने की क्षमता बढ़ा रहे हैं।”

वहीं रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि सीमापार से ड्रोन के ज़रिए हथियार और नशीले पदार्थों की तस्करी, तथा आतंकी गतिविधियों की कोशिशों को देखते हुए एयरस्पेस पर निगरानी बेहद ज़रूरी हो गई है। हाल के महीनों में कई बार सीमा पर पाकिस्तानी ड्रोन देखे गए, जिन्हें भारतीय सुरक्षा बलों ने मार गिराया।

गौरतलब है कि फरवरी 2021 में भारत और पाकिस्तान के सैन्य संचालन महानिदेशकों (DGMO) के बीच युद्धविराम की सहमति बनी थी, जिसे अब तक अधिकांशतः बनाए रखा गया है। हालांकि, जमीन पर संघर्षविराम की स्थिति शांत है, लेकिन वायु क्षेत्र की निगरानी और जवाबी तैयारी किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए अहम मानी जा रही है।

सरकार और सुरक्षा एजेंसियों ने स्पष्ट कर दिया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि है, और किसी भी संभावित खतरे का मुकाबला करने के लिए हरसंभव कदम उठाए जा रहे हैं।

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