राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली: तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोअन ने एक बार फिर पाकिस्तान के प्रति अपने समर्थन को दोहराया है। एक सार्वजनिक सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “तुर्की कभी नहीं झुकेगा और न ही अपने दोस्तों का साथ छोड़ेगा।” हालांकि उन्होंने भारत का नाम सीधे तौर पर नहीं लिया, लेकिन उनका इशारा भारत-पाकिस्तान संबंधों और विशेष रूप से कश्मीर मुद्दे की ओर माना जा रहा है।

पाकिस्तान को “भाई देश” बताया

एर्दोअन ने अपने भाषण में पाकिस्तान को एक “भाई देश” बताते हुए कहा कि तुर्की हर परिस्थिति में उसके साथ खड़ा रहेगा। यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव एक बार फिर बढ़ा हुआ है, खासकर सीमापार आतंकी गतिविधियों और कश्मीर को लेकर।

भारत के साथ संबंधों में फिर पड़ सकती है दरार

भारत और तुर्की के रिश्तों में पहले भी एर्दोअन के ऐसे बयानों के चलते खटास आई है। 2019 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में भी एर्दोअन ने कश्मीर का मुद्दा उठाया था, जिसे भारत ने आंतरिक मामला बताते हुए कड़ा विरोध जताया था। अब एक बार फिर उनके हालिया बयान से नई दिल्ली में नाराजगी बढ़ सकती है।

भारत की संभावित प्रतिक्रिया

अब सबकी नजर भारत की कूटनीतिक प्रतिक्रिया पर है। विदेश मंत्रालय की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक, नई दिल्ली इस बयान को गंभीरता से ले रही है और जल्द ही उचित कदम उठाया जा सकता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत तुर्की के साथ अपने व्यापारिक और रक्षा संबंधों की समीक्षा कर सकता है या फिर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर तुर्की के विरोध में रणनीतिक सहयोग बढ़ा सकता है, खासकर उन देशों के साथ जो इस्लामाबाद और अंकारा के करीबी नहीं हैं।

क्षेत्रीय राजनीति में असर

तुर्की का पाकिस्तान के पक्ष में दोबारा खड़ा होना केवल द्विपक्षीय मामला नहीं है, बल्कि यह वैश्विक भू-राजनीति को भी प्रभावित कर सकता है। भारत, मध्य एशिया, अरब देशों और यूरोप के साथ अपने संबंधों को संतुलित करते हुए अब तुर्की के साथ अपने रुख को तय करेगा।

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