राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़ नेटवर्क। बर्मिंघम में भारतीय टीम ने आठ मैच खेले हैं जिसमें सात में उसे हार का सामना करना पड़ा है जबकि एक मुकाबला ड्रॉ रहा है। दो अन्य जिन पर जीत नहीं मिली है, उनमें मैनचेस्टर और साउथम्पटन शामिल हैं।भारतीय क्रिकेट टीम के लिए एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी के शेष चार मैचों में वापसी करने की चुनौती है। दूसरा टेस्ट एजबेस्टन में दो जुलाई से खेला जाएगा। बर्मिंघम इंग्लैंड के उन तीन स्थलों में शामिल हैं जहां भारतीय टीम ने कभी जीत हासिल नहीं की है। बर्मिंघम में भारतीय टीम ने आठ मैच खेले हैं जिसमें सात में उसे हार का सामना करना पड़ा है जबकि एक मुकाबला ड्रॉ रहा है। दो अन्य जिन पर जीत नहीं मिली है, उनमें मैनचेस्टर और साउथम्पटन शामिल हैं। लीड्स में भारतीय टीम को पांच मैचों की सीरीज के पहले मुकाबले में पांच विकेट से हार का सामना करना पड़ा। बेन स्टोक्स की टीम 1-0 से आगे चल रही है। भारतीय टीम के शीर्ष क्रम का प्रदर्शन अच्छा था लेकिन निचले क्रम के बल्लेबाज अपेक्षित योगदान नहीं दे पाए। पहली पारी में भारत के निचले क्रम के प्रदर्शन का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि शुभमन गिल की कप्तानी वाली भारतीय टीम के पहली पारी में अंतिम सात विकेट 41 रन पर गिर गए थे और भारतीय टीम जो एक समय 500 से ऊपर का स्कोर बनाती नजर आ रही थी वह 471 पर ऑलआउट हो गई थी। दूसरी पारी में मोहम्मद सिराज, जसप्रीत बुमराह और प्रसिद्ध कृष्णा खाता नहीं खोल पाए। भारतीय टीम ने अंतिम छह विकेट महज 32 रन पर गंवा दिए थे। प्रसिद्ध का कहना है कि निचले क्रम का भी बल्ले से योगदान दिया जाना जरूरी है और नेट प्रैक्टिस में इस पर भी जोर दिया जा रहा है। 25 साल के शुभमन गिल की कप्तानी को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली है। रोहित शर्मा के टेस्ट प्रारूप को अलविदा कहने के बाद गिल ने दायित्व संभाला है। एक बल्लेबाज के तौर पर तो उन्होंने पहली पारी में 147 रन की पारी खेलकर अच्छी फॉर्म का संकेत दिया है, लेकिन एक कप्तान के तौर पर अभी उन्हें छाप छोड़नी बाकी है।

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