राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़ नेटवर्क
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को आरोप लगाया कि बिहार में महागठबंधन में भारी अंदरूनी कलह है। उन्होंने दावा किया कि राजद ने कांग्रेस को बंदूक की नोक पर अपने नेता को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार स्वीकार करने के लिए मजबूर किया। आरा में एक जनसभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कांग्रेस राजद नेता को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार नहीं बनाना चाहती थी, लेकिन राजद ने कांग्रेस के कनपट्टी पर कट्टा रख कर सीएम पद चोरी कर लिया।मोदी ने कहा कि राजद और कांग्रेस में ज़बरदस्त टकराव है। घोषणापत्र में कांग्रेस की मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया… चुनाव से पहले इनके बीच इतनी नफ़रत है, और चुनाव के बाद तो ये एक-दूसरे के ख़िलाफ़ ही हो जाएँगे। इन पर भरोसा नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि अगर राजद बिहार में ‘जंगलराज’ और तुष्टिकरण की राजनीति लेकर आया, तो कांग्रेस की पहचान सिखों के नरसंहार से जुड़ी है। यह 1 और 2 नवंबर 1984 की बात है। आज भी 2 नवंबर है। कांग्रेस पार्टी के लोगों ने 1 और 2 नवंबर 1984 को दिल्ली और देश के कई अन्य हिस्सों में सिख नरसंहार को अंजाम दिया था। आज भी कांग्रेस अपनी पार्टी में सिख नरसंहार के दोषियों को पूरे सम्मान के साथ नए पद दे रही है। उन्हें बढ़ावा दे रही है। कांग्रेस हो या राजद, उन्हें अपने पापों का कोई पछतावा नहीं है।आरा में मोदी ने कहा कि हम चाहते हैं कि बिहार के युवा बिहार में काम करें और राज्य को गौरवान्वित करें। बिहार जल्द ही पूर्वी भारत में कपड़ा और पर्यटन का प्रमुख केंद्र बन जाएगा। उन्होंने कहा कि जो दिल्ली में बैठकर अटकलें लगा रहे हैं, उन्हें बिहार आकर लहर देखनी चाहिए। कोई भी सरकार जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 नहीं हटा सकी थी, लेकिन मैंने गारंटी दी और यह कर दिखाया। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान में धमाके हो रहे थे, लेकिन कांग्रेस के शाही परिवार की नीदें यहां उड़ी हुई थीं। बिहार में महागठबंधन में भारी अंतर्कलह है, बंदूक दिखाकर राजद के नेता को मुख्यमंत्री उम्मीदवार चुना गयाप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “राजद-कांग्रेस के नेता हमारी आस्था का अनादर करने में माहिर हैं। राजद के नेताओं ने प्रयाग कुंभ मेले को ‘फालतू’ कहा। कांग्रेस के एक ‘नामदार’ ने कहा कि ‘छठ महापर्व’ एक नाटक है। बिहार हमारी आस्था का अनादर करने वालों को कभी माफ नहीं करेगा… हमारी आस्था का अनादर करने वालों को बहुत कठोर सजा दी जानी चाहिए ताकि कोई फिर से ‘छठ महापर्व’ का अपमान करने की हिम्मत न कर सके…।”



























































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































