उपराष्ट्रपति ने किया पुस्तक चुनौतियां मुझे पसंद हैं का विमोचन
राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़ नेटवर्क  लखनऊ : । उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि लोकतंत्र में अभिव्यक्ति जरूरी है, लेकिन जब यह अपनी सीमा लांघ जाए, तो अधिकार नहीं, विकार बन जाती है। वह डा. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की जीवनी चुनौतियां मुझे पसंद हैं के विमोचन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र संवाद, अभिव्यक्ति और वाद-विवाद से ही पुष्ट होता है, लेकिन इसके लिए एक स्वस्थ ईको सिस्टम जरूरी है। उन्होंने आगाह किया कि व्यक्ति और संस्थाएं जब अहम और अहंकार में घिर जाती हैं, तो यह उनके लिए घातक बन जाता है। सांस्कृतिक विरासत को बेमिसाल बताते हुए उन्होंने कहा कि हमें हर चुनौती को स्वीकार करना चाहिए, चाहे वह बाहरी हो या भीतरी। पहलगाम की घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने उसे भी देश के लिए एक चुनौती बताया, लेकिन भरोसा जताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश सुरक्षित है। सबसे खतरनाक चुनौती वह होती है जो अपने ही लोगों से मिलती है, लेकिन उसकी चर्चा भी नहीं की जा सकती। स्पष्ट किया कि सीएम, सांसद जैसे जनप्रतिनिधियों की शपथ संविधान के प्रति होती है जबकि राष्ट्रपति और राज्यपाल की शपथ भिन्न होती है। ऐसे गरिमापूर्ण पदों पर की जाने वाली टिप्पणियों पर चिंता जताते हुए उपराष्ट्रपति ने संस्थानों के बीच समन्वय और सम्मानपूर्ण सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया। इस मौके पर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि पुस्तक में जीवन के मेरे प्रसंग हैं जो दूसरों को प्रेरणा दे सकते हैं, उन्होंने अपने सामाजिक से राजनीतिक संघर्ष को भी साझा किया। परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि चुनौतियों से सामना करके ही व्यक्ति आगे बढ़ता है।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्चुनौतियां मुझे पसंद हैं को नई पीढ़ी के लिए मार्गदर्शक ग्रंथ बताते हुए राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के जीवन संघर्ष को एक प्रेरणादायक गाथा कहा। उन्होंने कहा कि गुजरात के एक छोटे से गांव से निकलकर उत्तर प्रदेश जैसे विशाल राज्य की राज्यपाल बनने तक की यात्रा आसान नहीं। पुस्तक में संसाधनों की कमी, सामाजिक बंधनों और विषम परिस्थितियों के बावजूद दृढ़ निश्चय से आगे बढ़ने वाली नारी शक्ति की कहानी है। सीएम ने कहा कि यह केवल एक जीवनी नहीं बल्कि जीवन के उन पहलुओं को छूती है, जो संघर्ष के रास्ते पर सफलता की ऊंचाइयों तक ले जाते हैं। उन्होंने लेखक त्रय विनय जोशी, अशोक देसाई और पंकज जानी का आभार जताया, जिन्होंने इस कृति को 14 अध्यायों में इस तरह रचा है जैसे समुद्र मंथन से निकले 14 रत्न। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के मार्गदर्शन में महाकुंभ को वैश्विक पहचान मिली है। उन्होंने पुस्तक विमोचन जैसे आयोजनों को लोकतंत्र को मजबूती देने वाला बताया। कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, विधान सभा अध्यक्ष सतीश महाना सहित अन्य मंत्री जनप्रतिनिधि, राज्य विश्वविद्यालय के कुलपति शिक्षक उपस्थित रहे।

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