राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली/श्रीनगर: भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा (LoC) पर हाल ही में घोषित सीज़फायर समझौते पर जहां एक ओर राजनीतिक हलकों और आम जनता में मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं, वहीं जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का बयान इस मुद्दे पर खासा चर्चा में है।

नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने शुक्रवार को ट्वीट कर कहा, “भारत और पाकिस्तान के बीच सीज़फायर समझौते का स्वागत करता हूं। यह कश्मीर और सीमावर्ती इलाकों के लोगों के लिए राहत की खबर है, लेकिन अब हमें यह देखना होगा कि क्या दोनों पक्ष इसे ज़मीन पर लागू भी कर पाते हैं।”

उमर अब्दुल्ला ने यह भी कहा कि पहले भी ऐसे समझौते हुए हैं, लेकिन वे ज़्यादा दिन नहीं टिक सके। उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि इस मौके का इस्तेमाल कश्मीर में स्थायी शांति और संवाद की बहाली के लिए किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, “यह सिर्फ गोलियों को रोकने का समझौता नहीं होना चाहिए, बल्कि इसे विश्वास बहाली की प्रक्रिया की शुरुआत माना जाना चाहिए। अगर यह कदम स्थायी शांति की दिशा में जाता है, तो इससे कश्मीर घाटी में कई वर्षों से चली आ रही अनिश्चितता में भी कुछ ठहराव आ सकता है।”

केंद्र सरकार और सेना की पहल

भारत सरकार और पाकिस्तानी सेना ने एक साझा बयान में कहा था कि दोनों देश नियंत्रण रेखा और अन्य सेक्टरों में “सीज़फायर का सख्ती से पालन” करेंगे। यह घोषणा अचानक आई, जिससे यह अटकलें भी तेज हो गईं कि पर्दे के पीछे दोनों देशों के बीच कुछ स्तर पर संवाद हुआ है।

सीमावर्ती इलाकों में खुशी

इस घोषणा के बाद जम्मू-कश्मीर और खासकर पुंछ, राजौरी और कुपवाड़ा जैसे सीमावर्ती जिलों में लोगों ने राहत की सांस ली है। लगातार गोलाबारी और सीमा पार से होने वाली फायरिंग के कारण जिन लोगों की ज़िंदगी खतरे में रहती थी, उनके लिए यह समझौता एक उम्मीद की किरण बनकर आया है।

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