
राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़ नेटवर्क
भारत ने 7 मई 2025 को “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान-प्रशासित कश्मीर में आतंकवादी ठिकानों पर हवाई हमले किए। यह ऑपरेशन 22 अप्रैल को पहलगाम के बैसरान घाटी में हुए आतंकवादी हमले में 28 निर्दोष नागरिकों की हत्या के प्रतिशोध में था।
ऑपरेशन सिंदूर: प्रतिशोध और प्रतिक्रिया
भारत सरकार ने इस ऑपरेशन को आतंकवादी बुनियादी ढांचे को निशाना बनाने के रूप में प्रस्तुत किया, जबकि पाकिस्तान ने इसे नागरिक क्षेत्रों पर हमला करार दिया और इसे “अकारण और स्पष्ट युद्ध का कृत्य” बताया। हमलों में कम से कम आठ पाकिस्तानी नागरिकों की मौत हुई और 35 अन्य घायल हुए। पाकिस्तान ने जवाबी कार्रवाई करते हुए दो भारतीय लड़ाकू विमानों को गिराने और एक भारतीय ब्रिगेड मुख्यालय को नष्ट करने का दावा किया। इस घटना के बाद दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया है।
पहलगाम हमले के बाद के दृश्य
22 अप्रैल को पहलगाम के बैसरान घाटी में हुए आतंकवादी हमले में 28 नागरिकों की मौत हुई, जिनमें से अधिकांश हिंदू पर्यटक थे। हमलावरों ने पुरुषों को पहचानने के लिए उनसे धर्म पूछा और फिर उन्हें गोली मार दी। महिलाओं को छोड़ दिया गया और उनसे कहा गया कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह घटना बताएं। इस हमले को भारत में पिछले एक दशक का सबसे घातक आतंकवादी हमला माना जा रहा है।
पीड़ितों की भावनाएँ और प्रतिक्रियाएँ
हमले के दौरान एक महिला, पलवी, ने हमलावर से कहा, “मेरे पति को मार दिया है, मुझे भी मार दो,” तो हमलावर ने जवाब दिया, “नहीं मारेंगे, मोदी को जाकर बताना।” यह घटना न केवल उनके व्यक्तिगत दुःख को दर्शाती है, बल्कि हमलावरों की मानसिकता और उद्देश्य को भी उजागर करती है।
एक अन्य वीरता की मिसाल पेश करने वाले व्यक्ति, सैयद आदिल हुसैन शाह, ने पर्यटकों को बचाने के प्रयास में अपनी जान गंवाई। उनकी शहादत को श्रद्धांजलि देते हुए जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने उनकी बहादुरी की सराहना की।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस और अमेरिकी अधिकारियों ने दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की है ताकि क्षेत्रीय संघर्ष और न बढ़े। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इस हिंसा की निंदा की है और शांति की आवश्यकता पर बल दिया है।
इस संघर्ष ने न केवल दोनों देशों के बीच तनाव को बढ़ाया है, बल्कि निर्दोष नागरिकों की जान जाने से क्षेत्रीय स्थिरता और शांति की दिशा में गंभीर प्रश्न उठाए हैं।