राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़ नेटवर्क

नयी दिल्ली भारत की न्यायपालिका में एक नया अध्याय शुरू हुआ है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने न्यायमूर्ति बी.आर. गवई को भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलाई। इस अवसर पर राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक औपचारिक समारोह में न्यायमूर्ति गवई ने पदभार संभाला। न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई ने भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) के रूप में पदभार ग्रहण कर लिया है। वह इस शीर्ष संवैधानिक पद पर नियुक्त होने वाले देश के दूसरे अनुसूचित जाति समुदाय से आने वाले न्यायाधीश हैं, जो भारतीय न्यायिक व्यवस्था में समावेश की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़ के सेवानिवृत्त होने के बाद, वरिष्ठता परंपरा के अनुसार सरकार ने जस्टिस गवई को उत्तराधिकारी चुना। 16 अप्रैल को सीजेआइ जस्टिस संजीव खन्ना ने उनके नाम की सिफारिश की थी, जिसके बाद कानून मंत्रालय ने 30 अप्रैल को उनकी नियुक्ति की अधिसूचना जारी की। न्यायमूर्ति गवई का कार्यकाल लगभग छह महीने का होगा। वह 23 दिसंबर 2025 को सेवानिवृत्त होंगे। बावजूद इसके, उनकी न्यायिक यात्रा और अब तक के निर्णय उन्हें एक प्रभावशाली और ऐतिहासिक सीजेआई के रूप में स्थापित करते हैं। 1985 में वकालत शुरू करने वाले जस्टिस गवई ने नागपुर और अमरावती के नगर निगमों के लिए स्थायी वकील के रूप में काम किया। इसके बाद वे बॉम्बे हाईकोर्ट में सहायक सरकारी वकील और फिर न्यायाधीश बने। 2019 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत किया गया।

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