राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज नेटवर्क लखनऊ। लखनऊ में राज्य नगरीय विकास अभिकरण (सूडा) के प्रोजेक्ट मैनेजर ने शनिवार रात सुसाइड कर लिया। घटना के वक्त पत्नी दूसरे कमरे में थी। बेटा अपनी बीमार सास को देखने हॉस्पिटल गया था। बेटा घर पहुंचा तो देखा पिता फंदे पर लटके हुए थे। परिजन फंदे से उतारकर हॉस्पिटल ले गए, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भिजवा दिया। कमरे से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। प्रोजेक्ट मैनेजर सुधाकांत मिश्र (59) रिटायर आईएएस मंगला प्रसाद मिश्र के बेटे थे। इंदिरानगर के बी ब्लॉक में रहते थे। परिजनों ने बताया कि वह 15 साल से डिप्रेशन में थे। उनका इलाज चल रहा था। इंदिरानगर सेक्टर बी निवासी ठेकेदार कार्तिकेय मिश्र ने बताया कि उनके पिता सुधाकांत मिश्र (सूडा) के प्रोजेक्ट मैनेजर थे, हरदोई में तैनात थे। तीन माह बाद रिटायर होने वाले थे। मां एचएल स्कूल में टीचर थीं। कार्तिकेय ने बताया कि मेरी सास हॉस्पिटल में भर्ती हैं। उन्हें देखकर रात में घर लौटा। पिता का कमरा अंदर से बंद था। खिड़की से झांक कर देखा तो वह बिजली के केबल के फंदे से लटके हुए थे। मां दूसरे कमरे में बैठी थीं। हम लोगों ने किसी तरह दरवाजा खोलकर उनको फंदे से उतारा। पास स्थित शेखर हॉस्पिटल ले गए, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। कार्तिकेय ने बताया कि पिता सुधाकांत मिश्र डिप्रेशन के चलते कई बार जान देने की बात करते थे। उनका इलाज चल रहा था। हम लोगों को अंदाजा भी नहीं था कि वह ऐसा कदम उठा लेंगे। शव को घर ले आए, इसके बाद पुलिस को सूचना दी। गाजीपुर पुलिस के मुताबिक, शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है। परिजनों ने बीमारी के चलते सुसाइड करने की बात कही है। रिश्तेदार के मुताबिक इंजीनियर सुधाकांत मिश्र की तबियत ठीक नहीं रहती थी। जिसके चलते छुट्टी पर चल रहे थे। 15 दिन पहले चक्कर आने से गिर गए थे। उन्हें मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां से पिछले हफ्ते ही छुट्टी मिली थी। इधर उनकी तबीयत में सुधार हो रहा था। 11 जून को दोबारा ड्यूटी ज्वाइन करने वाले थे। अचानक फिर क्या हुआ समझ नहीं आ रहा। घर वाले भी इससे स्तब्ध हैं। सुधाकांत मिश्र के घर के बाहर सन्नाटा है। आने-जाने वाले सीधे घर के अंदर जा रहे हैं। आसपास के घर पर पहुंच कर शोक संवेदना व्यक्त कर रहे हैं। परिजनों का कहना है कि अभी तक पंचनामा के कागज तैयार नहीं हुए हैं। जिससे पोस्टमॉर्टम में देरी हो रही है।

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