
राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़ नेटवर्क लखनऊ। प्रदेश के 42 जनपदों के निजीकरण का मसौदा तैयार करने वाली ग्रांट थॉर्नटन कंपनी जिसके ऊपर अमेरिका रेगुलेटर द्वारा 40 हजार डॉलर की पेनल्टी लगाई गई उसे छुपा कर झूठा शपथ पत्र देकर ग्रंथ में टेंडर लिया। उपभोक्ता परिषद ने जब इसका खुलासा कर दिया उसे नोटिस दी गई इंजीनियर आप कांटेक्ट में उसे दोषी मान लिया। अब उसे दोष मुक्त करते हुए उसके दो करोड़ से ज्यादा के पेमेंट को उसे दिलाने की तैयारी पावर कारपोरेशन का एक उच्च अधिकारी कर रहा है। एनर्जी टास्क फोर्स में बिडिंग डॉक्यूमेंट के मसौदे को विद्युत नियामक आयोग में भेजे जाने के पहले ग्रांट थॉर्नटन कंपनी को दोष मुक्त करना इनके लिए मजबूरी बन गया है। क्योंकि जब तक कंसलटेंट कंपनी दोष मुक्त नहीं होगी उसके मसौदे पर विद्युत नियामक आयोग को विचार करने में सबसे बड़ी विधिक अर्चन आएगी। टेंडर मूल्यांकन कमेटी ने कंसल्टेंट कंपनी को दोष मुक्त करने से जब मना कर दिया तो वर्तमान में पावर कारपोरेशन में बिना आर्डर पब्लिक डोमेन में आए सलाहकार के रूप में काम कर रहे पूर्व निदेशक वित्त ने मोर्चा संभाला। परिषद को यह भी पता चला कि उनके द्वारा पत्रावली में दोष दोष मुक्त करने का पूरा प्रस्ताव तैयार हो गया। आने वाले समय में आपको निदेशक वित्त पावर कारपोरेशन के रूप में एक अनुभव वाले अधिकारी पुनः नजर आएगे। परिषद के अनुसार भले ही कंसल्टेंट को दोष मुक्त करने के लिए बड़े-बड़े विशेषज्ञ जुटे हैं लेकिन वह बाद में जेल का चक्कर काटते नजर आएगे। परिषद को यह पता चल रहा है कि पावर कारपोरेशन के निदेशक वित्त पुरुषोत्तम अग्रवाल को पावर कारपोरेशन के कुछ उच्च अधिकारियों ने बताया यहां ग्रांट थ्रोनटन का एक मामला बहुत फंसा हुआ है। उस पर भी निर्णय लिया जाना है। यह सुनते ही उनको भी अपने फसाने की चिंता सताने लगी और उनके द्वारा चार्ज लेने से मना कर दिया गया।यह भी कहा जा रहा है कि इसके पीछे एक बहुत बड़ा षड्यंत्र है। भविष्य में इसका भी खुलासा होगा। इसके पहले दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निदेशक वित्त चार्ज लेने से मना कर दिया था क्योंकि वह टोरेंट पावर के कर्मचारी थे। वर्तमान में एक निर्देशक जो टाटा पावर के कर्मचारी थे। वह पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में बहुत जोर शोर से डाटा इकट्ठा करके अपनी पैतृक कंपनी को भेज रहे हैं। भेजे भी क्यों ना क्योंकि कल को जब बिजली कंपनियों का निजीकरण होगा तो डाटा ही तो काम करेगा। सभी को पता है कि इस विवादित कंसल्टेंट के साथ नियामक आयोग ने मीटिंग करने से मना कर दिया था और वह पावर कारपोरेशन के उच्च अधिकारियों के सहयोग से नियामक गायक के गेट पर जबरदस्ती मीटिंग करने के लिए तुला रहा। अंततः आयोग के गार्ड ने शक्ति के साथ उसे पावर कारपोरेशन वापस भेजा।उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कोई भी टेंडर लेने वाली कंपनी जिसके द्वारा झूठा शपथ पत्र दिया जाता है। उसका खुलासा होने पर उसे तत्काल इंजीनियर आप कांटेक्ट द्वारा ब्लैक लिस्ट कर दिया जाता है। यहां पिछले लगभग डेढ़ माह से उसे बचाया जा रहा है। जबकि पूरा मामला उत्तर प्रदेश सरकार के संज्ञान में है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि ग्रांट थ्रोनटों कंपनी को क्यों बचाया जा रहा है। सभी को पता है इस कंपनी के जो भी एक्सपर्ट है वह टाटा और अडानी के साथ काम कर रहे हैं और काम कर चुके हैं। यही दोनों निजी कंपनियां है जो भविष्य में टेंडर लेने वाली है।