राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़ नेटवर्क। आजकल बच्चों में मोटापा एक तेजी से बढ़ती हुई समस्या बन गया है। मोटापे की वजह से बच्चे न केवल शारीरिक रूप से कमजोर होते हैं बल्कि उन्हें कई तरह की गंभीर बीमारियों का भी खतरा रहता है। कई बार माता-पिता सोचते हैं कि बच्चे का मोटा होना अच्छे स्वास्थ्य का संकेत है। लेकिन हकीकत यह है कि जरूरत से ज्यादा वजन बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास में बाधा डाल सकता है। हम अक्सर यह नहीं समझ पाते कि बच्चों का वजन क्यों बढ़ रहा है। असल में इसके पीछे हमारी खुद की कुछ रोजमर्रा की आदतें जिम्मेदार होती हैं। जैसे कि बच्चों को बार-बार खाने के लिए कहना हर छोटी खुशी पर उन्हें चॉकलेट या फास्ट फूड देना, या खुद ही सक्रिय न रहकर बच्चों को भी निष्क्रिय बना देना। इन आदतों का असर धीरे-धीरे बच्चों की सेहत पर दिखने लगता है। इन आदतों को पहचानकर और सुधार कर हम बच्चों को मोटापे से बचा सकते हैं और उन्हें एक स्वस्थ जीवनशैली की ओर बढ़ा सकते हैं।
अनहेल्दी स्नैकिंग की आदत
जब घर में हमेशा चिप्स, बिस्कुट, नमकीन जैसे जंक फूड आसानी से उपलब्ध होते हैं, तो बच्चे उन्हें बार-बार खाने लगते हैं। इससे उनकी भूख का पैटर्न बिगड़ जाता है और शरीर में अनावश्यक कैलोरी बढ़ जाती है। इसलिए परिवार को चाहिए कि घर में हेल्दी स्नैक्स रखें ताकि बच्चे बेहतर और पौष्टिक विकल्प चुन सकें।
भोजन का अनियमित समय
कई परिवारों में नाश्ता, दोपहर का भोजन और रात का खाना समय पर नहीं होता। खाने के समय में अनियमितता से बच्चों के मेटाबॉलिज्म पर बुरा असर पड़ता है। इस कारण शरीर ज्यादा फैट जमा करने लगता है। इसलिए बच्चों को नियमित और समय पर पौष्टिक भोजन देना बहुत जरूरी है ताकि उनका पाचन तंत्र सही काम करे और उनका विकास अच्छे से हो।
खाने पर इनाम या दंड देना
कई बार परिवार में बच्चे के व्यवहार के अनुसार खाने को इनाम या सजा के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। उदाहरण के तौर पर, अच्छा काम करने पर चॉकलेट देना या गलत काम करने पर मनपसंद खाना न देना। ऐसा करने से बच्चे खाने को भावनाओं से जोड़ने लगते हैं और ओवरईटिंग यानी जरूरत से ज्यादा खाने की आदत विकसित हो जाती है।
बच्चों को फिजिकल एक्टिविटी से दूर रखना
आजकल कई परिवारों में पढ़ाई या सुरक्षा के कारण बच्चों को बाहर खेलने से रोक दिया जाता है। इस वजह से बच्चे शारीरिक रूप से निष्क्रिय हो जाते हैं और उनका वजन बढ़ने लगता है। परिवार को चाहिए कि वह बच्चों को खेलने, दौड़ने और एक्सरसाइज करने के लिए प्रेरित करे। इसके अलावा, बच्चों को फिजिकल एक्टिविटी वाले गेम्स खेलने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
स्क्रीन टाइम को कंट्रोल न करना
अगर परिवार बच्चों को घंटों मोबाइल, टीवी या टैबलेट पर लगे रहने देता है, तो यह मोटापे का एक बड़ा कारण बन सकता है। अधिक स्क्रीन टाइम बच्चों को शारीरिक रूप से आलसी बना देता है। साथ ही, इससे उनकी आंखों और दिमाग पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसलिए बच्चों का स्क्रीन टाइम नियंत्रित करना जरूरी है।
बच्चों में मोटापा केवल उनकी आदतों का परिणाम नहीं होता, बल्कि यह पूरी फैमिली की जीवनशैली से जुड़ा होता है। यदि माता-पिता और परिवार अपनी छोटी-छोटी आदतों को सुधार लें, तो बच्चे को मोटापे जैसी गंभीर समस्या से बचाया जा सकता है। एक स्वस्थ और सक्रिय जीवनशैली अपनाकर हम अपने बच्चों को बेहतर और स्वस्थ भविष्य दे सकते हैं।

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