राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज नेटवर्क।
लखनऊ। रूमी फाउंडेशन लखनऊ चैप्टर द्वारा प्रस्तुत मुजफ्फर अली द्वारा कल्पित एवं निर्देशित 8वां वार्षिक वाजिद अली शाह फेस्टिवल दिल ए नाज़ुक और दास्तान ए वाजिद अली शाह मनाया गया। पांच सितारा होटल ताज में यह कार्यक्रम धूमधाम से मनाया गया। शिवानी वर्मा द्वारा वाजिद अली शाह द्वारा लखनऊ को याद करते हुए एक ग़ज़ल पर कथक और डॉ. हिमांशु बाजपेयी और डॉ. प्रज्ञा शर्मा द्वारा दास्तान ए वाजिद अली शाह की प्रस्तुति की गई ।
वाजिद अली फेस्टिवल की दो प्रमुख प्रस्तुतियों दिल ए नाज़ुक (कथक प्रस्तुति) और दास्तान ए वाजिद अली शाह पर फिल्म डायरेक्टर मुज़फ्फर अली ने प्रकाश डाला। कहा कि वाजिद अली शाह को अंग्रेजों ने काफी बदनाम किया तब जाकर कहीं उनको हटा पाए। लेकिन उससे हमारी संस्कृति का क्या नुकसान हुआ, क्या उनका कॉन्ट्रिब्यूशन था, किस नेचर के थे, क्या उनकी लाइफ थी आदि इन्ही विषयों को लेकर रूमी फाउंडेशन ने डॉ हिमांशु बाजपेई को दास्तान ए वाजिद अली शाह की प्रस्तुति हेतु जिम्मेदारी सौंपी। इससे लोगों तक उनकी जिंदगी की हकीक़त पहुँच जाएगी। वाजिद अली शाह को एक अच्छे इंसान व कलाकार के रूप में जाना जाए। उन्होंने बताया कि रूमी फाउंडेशन ने 2013 में समग्र संस्कृति के संरक्षण के लिए वाजिद अली शाह महोत्सव की स्थापना की थी। वाजिद अली शाह महोत्सव की स्थापना रूमी फाउंडेशन के लखनऊ चैप्टर द्वारा संस्कृतियों के संरक्षण के लिए की गई थी। मुज़फ्फर अली ने आगे कहा कि वाजिद अली शाह को चाहने वाले दुनिया में बहुत लोग हैं।ं लखनऊ के बाद इस दास्तान ए वाजिद अली शाह की प्रस्तुति दिल्ली, कोलकाता और मुंबई में की जाएगी। उन्होंन बताया कि कत्थक नृत्य वाजिद अली शाह की एक ग़ज़ल पर आधारित है। इस मौके पर पिछले दशक में लखनऊ के विरासत स्मारकों के रूप में इंद्र सभा, राधा कन्हैया का किस्सा, यमुना दरिया प्रेम का, रंग और गंगानामा जैसे भव्य कार्यक्रम की प्रस्तुति दी गई।