
राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़ | बिहार में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का मुकाबला किस गठबंधन से हो रहा है, इस सवाल का जवाब आज सामने आएगा। राजग की कुछ सीटों पर बहस-झंझट बाकी है, लेकिन विपक्षी गठबंधन में अभी सीट शेयर पर भी फैसला नहीं हुआ है। इस फैसले के बगैर ही राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव कई दिन पहले से सीटों के लिए सिम्बल बांट रहे हैं। कांग्रेस के विरोध पर यह खबर सामने लायी गई कि तेजस्वी यादव ने सिम्बल वापस करा दिया, लेकिन हकीकत यह है कि उसके बाद भी लालू यादव सिम्बल बांटते नजर आए। सीट बंटवारे से पहले आज कई कांग्रेसी और वाम प्रत्याशी नामांकन का एलान कर चुके हैं। ऐसे में आज फैसले का बड़ा दिन है। फैसला होगा कि कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व वाला विपक्षी गठबंधन- I.N.D.I.A. बिहार चुनाव में उतरेगा या राजद के नेतृत्व वाला महागठबंधन मैदान में होगा।
सीट बंटवारे से पता चलेगा विपक्षी गठबंधन का नाम
बिहार में विपक्षी गठबंधन का नाम कभी महागठबंधन तो कभी ‘इंडिया’ ( I.N.D.I.A.) कहा जा रहा है। लोकसभा चुनाव में महागठबंधन ने विपक्ष की भूमिका निभाई थी, लेकिन राहुल गांधी बिहार विधानसभा चुनाव में I.N.D.I.A. को आगे करने की कोशिश में नजर आ रहे हैं। आज सीटों का बंटवारा होने के बाद पता चल सकेगा कि बिहार विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी का प्रयास सफल रहा या लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव का प्रभाव रह गया। जहां तक मुख्यमंत्री के फेस का सवाल है तो विपक्षी गठबंधन के पास तेजस्वी यादव के पास कोई विकल्प नहीं है। कांग्रेस के दिग्गज सीधे तौर पर उनका नाम भले न लें, लेकिन विधायकी का चुनाव लड़ने वाले सभी प्रत्याशी तेजस्वी यादव के चेहरे को लेकर ही चलेंगे
महागठबंधन क्या है, पहले यह जानें
बिहार में लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल ने राष्ट्रीय स्तर पर रहे संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (United Progressive Alliance) के समय ही बिहार में ‘महागठबंधन’ (Grand Alliance) बनाया था। राजद अब भी बिहार का क्षेत्रीय दल है। बिहार के किसी चुनाव जब भी (अभी की तरह) राष्ट्रीय दल- कांग्रेस ने राजद के साथ रहकर चुनाव लड़ा, उसे महागठबंधन का घटक कहा गया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाईटेड भी दो बार महागठबंधन में आकर सरकार बना चुकी है। राष्ट्रीय दल भारतीय कॉम्युनिस्ट पार्टी, मार्क्सवादी कॉम्युनिस्ट पार्टी आदि भी महागठबंधन के बैनर तले ही चुनाव लड़ते आए हैं।
बिहार में ही I.N.D.I.A. की आधारशिला
2023 में जब नीतीश कुमार महागठबंधन में थे, तब उन्होंने लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियों के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ देशभर के विपक्षी दलों को पटना बुलाया था। यह संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन से अलग प्रयास था। उससे भी बड़ा। विपक्षी दलों के इस महाजुटान से तब आम आदमी पार्टी के सर्वेसर्वा अरविंद केजरीवाल निकल गए थे। दिल्ली के चुनाव में भी उनका वही रुख रहा। कांग्रेस से केजरीवाल का गतिरोध कायम रहा। बाकी में से ज्यादातर विपक्षी दल इस गठबंधन में हैं, जिसका नाम भारतीय राष्ट्रीय विकासशील समावेशी गठबंधन (Indian National Developmental Inclusive Alliance) रखा गया था।
I.N.D.I.A. नाम से नीतीश को थी आपत्ति
NDA और UPA के अंतिम में ‘A’ है, जो Alliance यानी गठबंधन के लिए है; इसलिए इन दोनों गठबंधनों के नाम एनडीए या यूपीए के बाद गठबंधन लिखने की जरूरत नहीं पड़ती। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विपक्षी एकता के लिए भले ही पटना में पहली बैठक बुलाई थी, लेकिन बाद में जब भारतीय राष्ट्रीय विकासशील समावेशी गठबंधन (Indian National Developmental Inclusive Alliance) नाम रखा गया तो उसके संक्षिप्त नाम I.N.D.I.A. से उन्हें आपत्ति थी। उन्होंने देश का नाम इस तरह करने पर आपत्ति जताई थी। उनके विपक्षी गठबंधन छोड़ने की कई वजहों में एक यह भी शामिल था। इसलिए, इसे आम लोग इंडी एलायंस कहते हैं, जबकि विपक्षी दल इसे इंडिया एलायंस कहते हैं। विपक्षी गठबंधन के इस नाम I.N.D.I.A. में अंतिम संक्षिप्त अक्षर ‘A’ है, इसलिए इसे ‘विपक्षी गठबंधन- I.N.D.I.A.’ या इंडी एलायंस या I.N.D.I. एलायंस या इंडी गठबंधन कहना ज्यादा उचित है।
बिहार में महागठबंधन या I.N.D.I.A. लड़ेगा?
बिहार में लोकसभा चुनाव 2024 तक महागठबंधन ने ही कमान संभाले रखी थी। तेजस्वी यादव ने पूरे लोकसभा चुनाव में सत्ताधारी एनडीए को परेशान किए रखा। महागठबंधन में ही मुकेश सहनी उनके हमसाये के रूप में नजर आए थे। तब कांग्रेस और खासकर राहुल गांधी ने बहुत मेहनत नहीं की थी। राहुल गांधी बिहार विधानसभा चुनाव के लिए चुनावी साल 2025 में शुरू से सक्रिय नजर आए। मतदाताओं के विशेष गहन पुनरीक्षण के मुद्दे पर उन्होंने यात्रा शुरू की तो अंत आते-आते महागठबंधन की जगह I.N.D.I.A. की बात कही जाने लगी। इसके लिए दक्षिण से लेकर झारखंड तक के दलों को बुलाया गया। यात्रा के अंतिम दिन तेजस्वी यादव थोड़े किनारे थे और राष्ट्रीय स्तर पर बने I.N.D.I.A. के बाकी दलों के नेताओं के साथ राहुल गांधी का जलवा था।
सीट शेयरिंग का समय आते-आते परिस्थितियां फिर बदलती दिख रही हैं। झारखंड से हेमंत सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा के लिए न्यूनतम 12 सीटें चाह रहे, उन्हें दो से संतोष करने कहा जा रहा है। आम आदमी पार्टी ने राहुल गांधी की यात्रा में भी साथ नहीं दिया था, अब भी नहीं है। नए दलों में बिहार की ही लोक जनशक्ति पार्टी (राष्ट्रीय) को शामिल किए जाने की बात थी, लेकिन वह भी अस्पष्ट है। मतलब, कुल मिलाकर राजद, कांग्रेस, वीआईपी और वामदल ही साथ-साथ होंगे। अगर I.N.D.I.A. से कोई नया दल बिहार चुनाव में विपक्षी गठबंधन के साथ नहीं उतरा तो ‘महागठबंधन’ ही अंतिम नाम रह जाएगा, हालांकि बोलना-लिखना जिसे जो है- रोक नहीं सकता।