राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़ नेटवर्क
आज पूरे देश में श्रद्धा और भक्ति के साथ देवउठनी एकादशी का पावन पर्व मनाया जा रहा है। यह तिथि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आती है। इसे देवप्रबोधिनी एकादशी या प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की योगनिद्रा से जागते हैं, इसलिए इसे देवउठनी एकादशी कहा जाता है।
🌸 देवउठनी एकादशी का महत्व
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्ल एकादशी (देवशयनी एकादशी) के दिन योगनिद्रा में जाते हैं और चार माह बाद, कार्तिक शुक्ल एकादशी के दिन जागते हैं। इन चार महीनों को चातुर्मास कहा जाता है, जिनमें विवाह, गृह प्रवेश, यज्ञ आदि शुभ कार्य वर्जित रहते हैं।
देवउठनी एकादशी से पुनः शुभ कार्यों की शुरुआत मानी जाती है।
ऐसा विश्वास है कि जो भक्त भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूरे विधि-विधान से पूजा करते हैं, उन पर विशेष कृपा बरसती है। घर में सुख-समृद्धि का वास होता है, विवाह के योग बनते हैं और रुके हुए कार्य पूरे होते हैं।
✨ देवउठनी एकादशी: नई शुरुआत का प्रतीक
देवउठनी एकादशी केवल धार्मिक आस्था का पर्व नहीं, बल्कि नई शुरुआत और शुभता का प्रतीक है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़ नेटवर्क की ओर से सभी पाठकों को देवउठनी एकादशी की हार्दिक शुभकामनाएं!


























































































































































































