The 27th death anniversary of Laxman Kiladhish Brahmalin Swami Sitaram Sharan Maharaj was celebrated with devotion

राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़ नेटवर्क अयोध्या :  अयोध्या के प्रसिद्ध लक्ष्मण किला में आज स्वामी सीताराम शरण की 27वीं पुण्यतिथि श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाई गई। इस विशेष अवसर पर अयोध्या के साधु-संतों, गृहस्थों और बीजेपी के दिग्गज नेता बृजभूषण शरण सिंह ने स्वामी सीताराम शरण को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके जीवन के प्रति सम्मान व्यक्त किया।
स्वामी सीताराम शरण की पुण्यतिथि पर यहां के ” अधिकारी सूर्य प्रकाश “ने श्रद्धा भाव से उनका स्मरण करते हुए बताया कि स्वामी जी एक उच्च कोटि के विद्वान संत थे, जिन्होंने अपने जीवन को भगवान श्रीराम की भक्ति में समर्पित कर दिया था। अधिकारी ने कहा कि स्वामी सीताराम शरण हमेशा यही कामना करते थे कि उनका जीवन श्रीराम के चरणों में बिते और यदि भगवान चाहें तो उनके दोनों पैर टूट जाएं ताकि वे कहीं बाहर न जा सकें। उनका यह दृढ़ विश्वास था कि उनका अंतिम समय अयोध्या में, श्रीराम के धाम में ही आए और सरयू के जल में उनका अंतिम संस्कार हो।
स्वामी सीताराम शरण का यह जीवन दर्शन आज भी लाखों श्रद्धालुओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। वे अक्सर कथा, पूजा-पाठ और धार्मिक आयोजनों के लिए बाहर जाया करते थे और यह चिंता करते थे कि कहीं बाहर उनके प्राण न निकल जाएं। इसलिए उन्होंने यह कामना की थी कि उनका अंत समय अयोध्या में, सरयू तट पर, भगवान श्रीराम के चरणों में हो।
इस पुण्यतिथि के मौके पर लक्ष्मण किला में विविध धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए गए। इनमें नाम कांति, धाम कांति और सप्त कांतियों का पारायण प्रमुख रूप से हुआ। महंत मैथिली रमण शरण के नेतृत्व में संतों ने स्वामी सीताराम शरण को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके भक्ति मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। इस अवसर पर एक विशाल भंडारे का भी आयोजन किया गया, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया।
स्वामी युगलानन्य शरण द्वारा रचित कांतियों का पारायण भी इस आयोजन का अहम हिस्सा रहा। स्वामी सीताराम शरण के जीवन का मुख्य सिद्धांत रामकथा के शास्त्रीय प्रवक्ता के रूप में था और वे सामाजिक मुद्दों पर भी सक्रिय रूप से योगदान देते रहे थे। उनका योगदान आज भी अयोध्या और समस्त हिंदू समाज के लिए अमूल्य है।
इस दौरान अयोध्या के साधु संत महंत धर्माचार्य एवं भक्तगण उपस्थितरहे

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