राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़ नेटवर्क

नेशनल डेस्क: भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के बाद अब देश का पूर्वोत्तर हिस्सा भी सुरक्षा के लिहाज से अलर्ट मोड पर है। पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर भारतीय मिसाइल हमलों के बाद पूर्वोत्तर की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर सेना और सुरक्षाबलों की मौजूदगी बढ़ा दी गई है। चीन, म्यांमार और बांग्लादेश से सटे इन इलाकों की रणनीतिक स्थिति को देखते हुए सेना पूरी तरह से सतर्क हो गई है। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद देश के पूर्वी हिस्से में हलचल तेज हुई है। पिछले करीब 10 दिनों से सीमा से लगे रास्तों पर सेना के भारी-भरकम बख्तरबंद वाहनों और टैंक की टुकड़ियां देखी जा रही हैं। सेना के जवान अब दुर्गम इलाकों में तेजी से तैनात किए जा रहे हैं, ताकि किसी भी अप्रत्याशित स्थिति से निपटा जा सके।

पूर्वोत्तर भारत की सीमा कई देशों से लगती है, जिनमें चीन, बांग्लादेश, म्यांमार और भूटान प्रमुख हैं। इसकी संवेदनशीलता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यह क्षेत्र न केवल 1962 के भारत-चीन युद्ध का गवाह रहा है, बल्कि द्वितीय विश्व युद्ध की घटनाओं का साक्षी भी है।
पूर्वोत्तर रेलवे और पूर्व रेलवे ने बांग्लादेश सीमा से सटे इलाकों में रेलवे स्टेशनों, पटरियों और रेल संपत्तियों पर विशेष गश्त शुरू कर दी है। रेलवे सुरक्षा बल (RPF) और सीमा सुरक्षा बल (BSF) के जवान अब सीमावर्ती स्टेशनों पर संयुक्त गश्त कर रहे हैं। यात्रियों और रेल संपत्ति की सुरक्षा को लेकर तलाशी अभियान भी चलाए जा रहे हैं।

सिलीगुड़ी कॉरिडोर, जिसे ‘चिकन नेक’ कहा जाता है, पूर्वोत्तर को देश के बाकी हिस्से से जोड़ने वाला एकमात्र ज़मीनी रास्ता है। यह 60 किमी लंबा और 20 किमी चौड़ा इलाका तीन देशों- नेपाल, भूटान और बांग्लादेश की सीमा से सटा है। सामरिक विशेषज्ञों का मानना है कि युद्ध की स्थिति में चीन इस कॉरिडोर को बंद करने की रणनीति अपना सकता है। इसी खतरे को भांपते हुए भारत ने यहां सुरक्षा को अभूतपूर्व स्तर पर बढ़ा दिया है।

सिक्किम और भूटान सीमा के पास डोकलाम विवाद के समय भारत ने चीन को कड़ा संदेश दिया था। उस समय करीब दो महीने तक दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने डटी थीं। इसी अनुभव से सबक लेते हुए सेना ने सिक्किम में 15 हजार फीट की ऊंचाई पर हाल ही में युद्धाभ्यास किया, जिसमें एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल चलाने का अभ्यास भी शामिल था।

अरुणाचल प्रदेश का किबिथू गांव और लोहित जिले के दुर्गम इलाके पहले भी चीनी घुसपैठ के गवाह रहे हैं। लेकिन अब हालात अलग हैं। सेना के मुताबिक सेला पास बन जाने से अब सीमावर्ती इलाकों तक पहुंचना और फौज की तैनाती आसान हो गई है। सैकड़ों बख्तरबंद वाहन और टैंक तैनात किए जा चुके हैं।

सेना की पूर्वी कमान के अधिकारियों का कहना है कि पहलगाम हमले के बाद बांग्लादेश के एक पूर्व सैन्य प्रमुख ने सोशल मीडिया पर भड़काऊ बयान दिया था कि भारत अगर पाकिस्तान पर हमला करे तो बांग्लादेश को चीन के साथ मिलकर पूर्वोत्तर पर हमला कर देना चाहिए। ऐसे बयानों को हल्के में नहीं लिया जा रहा। इसीलिए सीमा सुरक्षा बल (BSF), इंडो-तिब्बतन बॉर्डर पुलिस (ITBP) और सेना तीनों संयुक्त रूप से चौकसी कर रही हैं।

म्यांमार सीमा को ‘गोल्डन ट्रायंगल’ के नाम से जाना जाता है, जहां हथियार और नशीले पदार्थों की तस्करी बड़े पैमाने पर होती है। मणिपुर और मिजोरम जैसे राज्यों की सीमाएं म्यांमार से सटी होने के कारण यहां पहले से ही तनाव का माहौल बना हुआ है। खासतौर पर मणिपुर में हाल के वर्षों में जातीय हिंसा की घटनाएं और उग्रवाद बढ़ा है।

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