State Minister Rajni Tiwari said education is the backbone of nation building in the national seminar of Lucknow University

राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़ नेटवर्क  लखनऊ : राजनीति विज्ञान विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय और भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICSSR), नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में “राज्य, समाज और राष्ट्र के बीच अंतर्संबंधः भारतीय परिप्रेक्ष्य” विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन 8 अप्रैल 2025 को गरिमामय वातावरण में संपन्न हुआ।

मुख्य आकर्षण – राज्य मंत्री रजनी तिवारी का विचारोत्तेजक संबोधन:
समापन समारोह की मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश की उच्च शिक्षा राज्य मंत्री रजनी तिवारी रहीं। उन्होंने शिक्षा की केंद्रीय भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि सरकार की विकास योजनाएँ “अंत्योदय से सर्वोदय” के सिद्धांत पर आधारित हैं। उनका कहना था कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) भारतीय संस्कृति और मूल्यों को केंद्र में रखकर शिक्षा को राष्ट्र निर्माण का सशक्त माध्यम बना रही है।

कुलपति और आयोजकों की सराहना:
लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय ने संगोष्ठी की सफलता पर प्रसन्नता जताते हुए राजनीति विज्ञान विभाग और उसके नवनियुक्त शिक्षकों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन शोध, संवाद और नवाचार को प्रेरित करते हैं, विशेषकर युवा शिक्षकों और विद्यार्थियों के लिए।

विचारों का मंथन – राष्ट्र निर्माण की दिशा में कदम:
संगोष्ठी में देशभर के विश्वविद्यालयों से आए विद्वानों ने राज्य, समाज और राष्ट्र के बीच गहरे संबंधों पर आधारित शोध पत्र और विचार प्रस्तुत किए। सभी प्रस्तुतियाँ भारतीय परिप्रेक्ष्य में अत्यंत प्रासंगिक रहीं, जो सामाजिक-राजनीतिक अध्ययन की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास सिद्ध हुईं।

उल्लेखनीय उपस्थिति और विद्वानों का योगदान:
इस अवसर पर राजनीति विज्ञान विभाग के सभी शिक्षक और कर्मचारी उपस्थित रहे, जिनमें प्रो. संजय गुप्ता (विभागाध्यक्ष), प्रो. मनुका खन्ना, प्रो. कमल कुमार, प्रो. कविराज, डॉ. जितेंद्र कुमार (संयोजक), डॉ. अमित कुशवाहा, डॉ. शिखा चौहान, डॉ. राजीव सागर, डॉ. माधुरी साहू, डॉ. अनामिका, डॉ. दिनेश कुमार, डॉ. तुंगनाथ मुआर, डॉ. दिनेश यादव, डॉ. सत्यम तिवारी सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।

समापन राष्ट्रगान के साथ:
संगोष्ठी का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ, जिससे समारोह की गरिमा और भावनात्मकता और भी बढ़ गई।

निष्कर्ष:
यह संगोष्ठी केवल शैक्षिक दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि भारतीय राजनीति और समाजशास्त्र के अध्ययन में नए आयाम स्थापित करने की दिशा में एक प्रेरणास्पद पहल रही। लखनऊ विश्वविद्यालय और ICSSR के इस संयुक्त प्रयास को भविष्य में भी जारी रखने की उम्मीद की जा रही है।

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