राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज नेटवर्क। 

लखनऊ। नवयुग कन्या महाविद्यालय में समाजशास्त्र विभाग एवं आईक्यूएसी के संयुक्त प्रयास से जेंडर सेंसटाइजेशन चेंजिंग परसेप्शंस एंड एंपावरिंग लॉज विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि ने दीप प्रज्ज्वलन व सरस्वती मां के चित्र पर पुष्प अर्पित कर इसका शुभारंभ किया।


 प्राचार्या प्रोफेसर मंजुला उपाध्याय ने सभी अतिथियिों का अभिनंदन पौध और स्मृति चिन्ह देकर किया। विशिष्ट वक्ता प्रो. सारिका दुबे ने अपने व्याख्यान में लिंग संवेदनशीलता पर छात्राओं को प्राचीन काल से चली आ रही सीता अपहरण और द्रौपदी चीरहरण जैसी घटनाओं के बारें में बताया। उन्होंने कहा कि लिंग आधारित कार्यों का विभाजन ही महिलाओं के दमन का मुख्य कारण है। जबकि प्रकृति ने महिलाओं को पुरुषों से अधिक शक्तिशाली बनाया है। क्योंकि उनके पास जीवनी शक्ति है, जिससे वह बच्चे को जन्म दें सकती है। इसके बाद भी समाज में महिलाओं को कमजोर माना गया। उन्होंने कहा कि दुनिया की पहली गुलाम महिला को बताया गया हैं, क्योंकि वह अपने बच्चों को छोड़कर भाग नहीं सकती। वक्ता प्रो. दीपा द्विवेदी ने कहा कि पुरुष एवं महिला एक गाड़ी के दो पहियों के समान है। इसलिए महिलाओं का सशक्त होना जितना जरूरी है। प्राचार्या प्रो. मंजुला उपाध्याय ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में छात्राओं को समकालीन समाज में चल रही महिलाओं से जुड़ी  विभत्सपूर्ण घटनाओं से जुड़े तथ्यों को जानकारी दी। 

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