राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़। केंद्रीय मंत्रिमंडल के आज लिए गए फैसले केवल बुनियादी ढांचे के विकास की दिशा में बड़े कदम नहीं हैं, बल्कि इनके निहितार्थ सीधे-सीधे राजनीति और चुनावी समीकरणों से भी जुड़े हुए हैं। विशेषकर बिहार में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए इन निर्णयों का खासा महत्व है।हम आपको बता दें कि कैबिनेट के आज के फसलों में बिहार के दो बड़े प्रोजेक्ट भी हैं। इनमें बख्तियारपुर-राजगीर-तिलैया रेलवे लाइन के दोहरीकरण की मंजूरी और साहेबगंज-अरेराज-बेतिया खंड को चार लेन का बनाने का प्रस्ताव है। रेलवे परियोजना से नालंदा, राजगीर और गया-नवादा जैसे आकांक्षी जिलों को सीधी राहत मिलेगी। ये वे क्षेत्र हैं जहां विकास की कमी लंबे समय से एक चुनावी मुद्दा रही है। धार्मिक और पर्यटन दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थलों तक तेज़ और सुविधाजनक रेल पहुंच न केवल आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाएगी बल्कि स्थानीय रोजगार व स्वरोजगार के अवसर भी खोलेगी। इससे ग्रामीण बिहार का वह तबका प्रभावित होगा, जो परंपरागत रूप से रेलवे से अपनी आजीविका जोड़कर देखता है।सड़क परियोजना की बात करें तो एनएच-139डब्ल्यू को चार लेन का बनाने का निर्णय उत्तर बिहार की जीवनरेखा साबित हो सकता है। चंपारण, गोपालगंज और सीवान जैसे जिलों में यह निवेश सीधे-सीधे ग्रामीण अर्थव्यवस्था, कृषि उत्पादों की बाज़ार तक पहुंच और सीमा पार व्यापार को प्रभावित करेगा। यह वही इलाका है, जहां भाजपा और एनडीए गठबंधन की चुनावी पकड़ बनाए रखना चुनौतीपूर्ण रहा है। नई सड़क से यात्रा समय में भारी कमी, पर्यटन सर्किट को प्रोत्साहन और लाखों रोजगार सृजन का वादा चुनावी भाषा में “विकास की गारंटी” के रूप में पेश किया जाएगा।इसके अलावा, रेलवे कर्मचारियों को 78 दिनों का उत्पादकता से जुड़ा बोनस मंजूर करना भी राजनीतिक दृष्टि से बेहद अहम है। हम आपको बता दें कि बिहार रेलवे कर्मचारियों का बड़ा केंद्र रहा है और उनका सामाजिक-राजनीतिक प्रभाव काफ़ी व्यापक है। त्योहारी सीजन से ठीक पहले बोनस की घोषणा भाजपा-एनडीए के लिए ‘गुडविल फैक्टर’ बन सकती है।इसके अलावा, जहाज निर्माण और समुद्री क्षेत्र में 69,725 करोड़ रुपये के निवेश का फैसला बिहार से सीधे तौर पर न जुड़ते हुए भी राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा की “बुनियादी ढांचा निर्माता” वाली छवि को मजबूत करेगा। यह पैकेज भारत की भू-रणनीतिक शक्ति को भी रेखांकित करता है और उद्योगपति वर्ग से लेकर रोजगार तलाशने वाले युवाओं तक, सबके लिए एक सकारात्मक संदेश देता है।
राजनीतिक दृष्टि से देखें तो इन फैसलों का समय बेहद महत्वपूर्ण है। बिहार चुनाव से पहले यह संदेश देना कि केंद्र सरकार न सिर्फ़ राज्य के लिए बल्कि पूरे देश के लिए बड़े-बड़े फैसले ले रही है, भाजपा के चुनावी अभियान का मुख्य आधार बनेगा। नीतीश कुमार की जदयू और अन्य सहयोगी दलों के लिए भी ये घोषणाएं वोटरों के बीच ठोस काम दिखाने का अवसर प्रदान करती हैं। बुनियादी ढांचे की दृष्टि से ये निर्णय लंबे समय में लाभकारी होंगे। रेलवे और सड़क परियोजनाएं रसद लागत घटाएंगी, पर्यावरणीय लाभ देंगी और व्यापारिक कनेक्टिविटी को बढ़ाएंगी। वहीं जहाज निर्माण पैकेज भारत को वैश्विक नौवहन प्रतिस्पर्धा में नई पहचान देगा।कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि आज के मंत्रिमंडलीय फैसले भाजपा-एनडीए गठबंधन को चुनावी धरातल पर मजबूती देंगे और बिहार की जनता को यह विश्वास दिलाने की कोशिश करेंगे कि विकास की गाड़ी सही पटरी पर है। सवाल यही है कि क्या मतदाता इसे ठोस परिवर्तन के रूप में महसूस करेंगे, या इसे चुनावी राजनीति का हिस्सा मानकर सीमित प्रभाव देंगे। चुनाव का असली इम्तिहान इसी पर निर्भर करेगा।

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