राष्टï्रीय प्रस्तावना न्यूज नेटवर्क। 

लखीमपुर खीरी। जन्माष्टमी का पर्व भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन मनाया जाता है। जन्माष्टमी पर भगवान विष्णु जी के अवतार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। प्रत्येक वर्ष जन्माष्टमी का पर्व बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस बार जन्माष्टमी पर बहुत ही शुभ योग बन रहे हैं। जैसे योग भगवान कृष्ण के जन्म के समय बने थे वैसे ही योग इस बार भी बन रहे हैं। इस बार के बने शुभ योग में व्रत रखने से भक्तों को व्रत का चार गुना फल मिलने वाला है।


जन्माष्टमी पर बन रहें हैं बेहद शुभ योग

इस बार संयोग ऐसा बना है कि जन्माष्टमी पर अष्टमी तिथि एक ही दिन है। जिससे की साधु सन्यासी और गृहस्थ सभी एक ही दिन भगवान कृष्ण की भक्ति उपासना कर पाएंगे। पंचांग की गणना बता रही है कि 26 तारीख सोमवार के दिन अष्टमी तिथि सुबह 08 बजकर 20 मिनट से आरंभ होगी। 26 तारीख को रात के 2 बजकर 20 मिनट पर अष्टमी तिथि समाप्त होगी। जन्माष्टमी के दिन रोहिणी नक्षत्र रात्रि में 9 बजकर 10 मिनट से आरंभ होगा और 27 तारीख को रात्रि 8 बजकर 23 मिनट तक रहेगा।

देवकली गुरुकुल के आचार्य प्रमोद दास ने बताया कि इस दिन चंद्रमा वृषभ राशि में होगा।  जैसा की भगवान कृष्ण के जन्म के समय का संयोग बना है। दरअसल उस दिन भी चंद्रमा वृषभ राशि में ही थे। जिस रात में अष्टमी तिथि मध्यकाल में होती है उसी दिन जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन रोहिणी नक्षत्र और चंद्रमा का वृषभ राशि में होना बेहद ही शुभ फलदायी रहेगा। साथ में अगर जन्माष्टमी पर सोमवार या बुधवार हो जाए तो यह बहुत ही शुभ संयोग बनाता है। दरअसल जिस दिन भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था उस दिन बुधवार था। ठीक इससे छह दिन बाद यानी सोमवार को भगवान कृष्ण की छठ्ठी आदि का कार्य किए गए थे। इसलिए जन्माष्टमी सोमवार या बुधवार में होना बेहद शुभ मानी जाती है।

आचार्य प्रमोद दास के अनुसार जन्माष्टमी के दिन वैसे तो आप किसी भी समय पूजन कर सकते हैं। लेकिन, इस दिन पूजा के लिए तीन बेहद ही शुभ मुहूर्त है जिसमें पूजा करना बहुत ही शुभ फलदायी साबित होगा। सुबह 5 बजकर 56 मिनट से 7 बजकर 37 मिनट तक सुबह की पूजा के लिए उत्तम समय है। इस दौरान अमृत चौघडिय़ा रहने वाला है। शाम के समय लाभ और अमृत चौघडय़िा पूजन का मुहूर्त 3 बजकर 36 मिनट 6 बजकर 49 मिनट तक है। जबकि रात में 12 बजकर 1 मिनट से 12 बजकर 45 मिनट तक निशीथ काल का समय जन्माष्टमी पूजन के लिए सबसे उत्तम मुहूर्त है।

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