राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज नेटवर्क

मल्लावां हरदोई। सावन के तीसरे सोमवार पर कन्नौज रोड स्थित बाबा सुनासीर मंदिर में भक्तों का सैलाब उमड़ा। भोले का जलाभिषेक करने के लिए भोर के पहर से ही भक्तों की कतार लग गई, जो देर शाम तक नजर आई। सैकड़ों की संख्या में आए कांवड़ियों ने भी जलाभिषेक किया। इस दौरान हर-हर महादेव के उदघोष से मंदिर परिसर गंुजायमान रहा। इस दौरान मंदिर परिसर में मेले का भी आयोजन किया गया। जिसमें महिलाओं व बच्चों ने जमकर खरीदारी की।


इस मंदिर की एक अनोखी ही कहानी है। मंदिर में पूजन का कार्य कर रहे पंडित राम गोविंद शास्त्री व आचार्य हरि ओम पंडित ने बताया कि श्रीमद् भागवत कथा के अनुसार जब राक्षस व्रत्रासुर  का वध इंद्रदेव ने किया था, तो उन्हें ब्रह्म हत्या का श्राप लगा था। जिससे बचने के लिए  उन्होंने गंगा के किनारे भगवान भोले शंकर के शिवलिंग की स्थापना की थी। जिस समय इंद्रदेव ने शिवलिंग की स्थापना की थी तब इंद्रदेव सुनासीर इंद्र के नाम से जाने जाते थे। तभी से इस शिवलिंग स्थापना की जगह को सुनासीर  कहा जाने लगा। आगे जब मुगल शासको ने भारत देश को अपने कब्जे में लिया तब के मुगल शासक रहे औरंगजेब ने इसी सुनासीर नाथ मंदिर को तोड़ने व शिवलिंग को नष्ट करने के लिए अपनी सेना आक्रमण करवाया था। जब सेना शिवलिंग को नष्ट करने के लिए उसको उखाड़ने प्रयास कर रही थी, तभी शिव लिंग से पहले दूध की धार निकली फिर खून की धार निकली। इस पर भी मुगल सेना ने अपना आक्रमण कम नहीं किया। तब कहते हैं कि बड़ी-बड़ी ततैया शिवलिंग के नीचे से निकली और सेना पर आक्रमण कर दिया। जिससे औरंगजेब की सेना मंदिर प्रांगण को छोड़कर भाग गई। वही मंदिर में स्थापित शिवलिंग पर आज भी औरंगज़ेब की सेना के क्रूरता के निशान स्पष्ट दिखाई देते हैं।

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