Cow Mother: Divine importance and miraculous effect in Sanatan culture

राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़ नेटवर्क लखनऊ : गौ माता का महत्व सनातन धर्म में आदिकाल से प्रमाणित है। ऋषियों और शास्त्रों ने इसे माता का स्थान दिया है, और इसकी सेवा को पुण्यदायी बताया है। भारतीय संस्कृति में गाय न केवल कृषि और अर्थव्यवस्था का आधार रही है, बल्कि आध्यात्मिक और वैज्ञानिक रूप से भी महत्वपूर्ण मानी गई है।

गाय के प्रति सनातनी आस्था और रक्षा का भाव

गुरुदेव के अनुसार, गौ माता के भाव इतने शक्तिशाली होते हैं कि वे अपने परिवार की रक्षा के लिए अपने प्राण तक न्योछावर कर देती हैं। एक घटना में, एक गौ माता ने अपने पालक पर किए गए तंत्र प्रयोग (मारण) को स्वयं पर लेकर अपने परिवार की रक्षा की। यह प्रमाणित करता है कि गाय का प्रेम और त्याग अद्वितीय है।

गाय के वैज्ञानिक और आध्यात्मिक लाभ

  1. नकारात्मक ऊर्जा का नाश – घर में गौ माता की उपस्थिति से नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव कम होता है।
  2. बीमारियों से बचाव – गाय को प्रेम करने और उसके साथ रहने से कई बीमारियाँ स्वतः दूर रहती हैं।
  3. पूर्वाभास की क्षमता – गाय को प्राकृतिक आपदाओं और घटनाओं का पूर्वाभास होता है।
  4. पुण्य संचय का माध्यम – गौ सेवा मात्र से आध्यात्मिक रूप से पुण्य की प्राप्ति होती है।
  5. औषधीय महत्व – गौ मूत्र से कई जीवनदायी औषधियाँ बनाई जाती हैं।
  6. गंगा जल का विकल्प – कुछ स्थानों पर धार्मिक कार्यों में गौ मूत्र का प्रयोग किया जाता है।
  7. मोक्ष प्राप्ति का माध्यम – मान्यता है कि आत्मा गौ माता की पूंछ पकड़कर स्वर्गलोक की यात्रा करती है।
  8. मन्नत पूर्ण करने की शक्ति – गुड़ और घी लगी रोटी गौ माता को अर्पित कर संकल्प पूरा करने का विधान है।

गौ लोक का दिव्य दर्शन

एक विदेशी शिष्य ने ध्यान यात्रा के दौरान गौ लोक का अद्भुत दर्शन किया, जिसे गुरुदेव ने पुष्टि की। यह सनातन ज्ञान की दिव्यता को प्रमाणित करता है।

गौ माता केवल एक पशु नहीं, बल्कि सनातन धर्म की जीवंत आत्मा हैं। इनका संरक्षण और सेवा ही हमारी संस्कृति और आध्यात्मिक उन्नति का आधार है।

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