The incident of Kansa's killing and Govardhan puja was narrated in the Bhagwat Katha.

राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़ नेटवर्क हरदोई : हरियावां क्षेत्र के भीठी नेवादा गांव के गोकुल पुरवा में हो रही श्रीमद् भागवत कथा में शनिवार की रात्रि में नगला डाडा जिला एटा से आए हुए कथावाचक ब्रजेश कुमार शास्त्री ने कंस वध के प्रसंग का वर्णन सुंदर ढंग से किया। जिसको सुनकर श्रोता मंत्रमुग्ध हो उठे। जयकारे की गूंज पूरे पंडाल में गूंजती सुनाई दी। राधा-कृष्ण की मनोहारी झांकी भी प्रस्तुत की गई, जिसको देख भक्तगण भाव विभोर हो उठे।शास्त्री ब्रजेश कुमार ने कंस वध की कथा सुनाते हुए कहा कि कंस ने मथुरा में आतंक मचा रखा था। भगवान कृष्ण ने उसका वध कर आतंक से मुक्ति दिलाई। दुष्ट कंस के बुलाने पर श्रीकृष्ण अपने बड़े भाई दाऊजी के साथ मथुरा पहुंचे। जहां उनके दर्शन के लिए लोग उमड़ पड़े। मल्ल युद्ध के बाद श्रीकृष्ण ने कंस का वध किया।भगवान श्रीकृष्ण के जयघोष से वातावरण गुंजायमान हो उठा।उसके बाद शास्त्री जी ने गोवर्धन लीला का प्रसंग सुनाया। कथावाचक शास्त्री ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी लीलाओं से जहां कंस के भेजे विभिन्न राक्षसों का संहार किया, वहीं ब्रज के लोगों को आनंद प्रदान किया। प्रसंग में बताया कि इंद्र को अपनी सत्ता और शक्ति पर घमंड हो गया था। उसका गर्व दूर करने के लिए भगवान ने ब्रज मंडल में इंद्र की पूजा बंद कर गोवर्धन की पूजा शुरू करा दी। इससे गुस्साए इंद्र ने ब्रज मंडल पर भारी बरसात कराई। प्रलय से लोगों को बचाने के लिए भगवान ने कनिष्ठा उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया। सात दिनों के बाद इंद्र को अपनी भूल का एहसास हुआ। कथा के दौरान संगीतमय भजनों पर श्रद्धालु महिलाओं ने भावविभोर कर नृत्य भी किया।आयोजन में रामू,सर्वेश,मनोज,संदीप,अनुज,राकेश,राजपाल,सतपाल,विमलेश,आकाश,रवि,सुरेश,नीरज,दीपक,आदि सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित रहे।

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