Today, Mother Brahmacharini will be worshipped, seekers will get blessings of penance and restraint
  • March 31, 2025
  • kamalkumar
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राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़ नेटवर्क लखनऊ : नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन साधक अपने मन को मां के चरणों में समर्पित कर तप और संयम की साधना करते हैं। ‘ब्रह्म’ का अर्थ है तपस्या और ‘चारिणी’ का अर्थ है आचरण करने वाली, यानी जो तप का आचरण करती हैं।

मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप अत्यंत दिव्य और शांत है। उनके दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल सुशोभित रहता है। इनका उल्लेख भविष्य पुराण में मिलता है। इस दिन साधक कुंडलिनी शक्ति जागृत करने के लिए विशेष साधना करते हैं, जिससे उनके जीवन में सफलता और आत्मशक्ति का संचार होता है।

मां दुर्गा का यह स्वरूप भक्तों और सिद्धों को अनंत फल प्रदान करने वाला माना जाता है। इनकी आराधना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की वृद्धि होती है। कठिन परिस्थितियों में भी भक्तों का मन कर्तव्य-पथ से विचलित नहीं होता।

मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से साधक को सर्वसिद्धि और विजय प्राप्त होती है। दुर्गा पूजा के दूसरे दिन इन्हें स्वाधिष्ठान चक्र का अधिष्ठात्री देवी माना जाता है, जिससे इस दिन की उपासना का विशेष महत्व होता है। मन को संयमित रखने वाले साधक को माता की असीम कृपा प्राप्त होती है।

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