एक जीवात्मा विविध परिवेष
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एकमेव आश्रय परमेश्वर
जग में दर्शनीय जगदीश्वर
शेष नाते असत्य व्यवहार हेतु
आचरण सत्य नारायण सेतु
द्वैत में सत्यमेव समरूपता
एकमात्र गोविंद से ही प्रियता
सर्वत्र परमात्मा , किससे द्वेष
एक जीवात्मा विविध परिवेष
जग रंग मंच पर अभिनय
शास्त्र आज्ञा पालन अमृतमय
तन से उद्यम करना कर्तव्य
अनुचित परिणाम से ममत्व
तन – मन से परिश्रम करना
प्रतिफल से प्रमुदित रहना
उपलब्ध ईश प्रसाद में संतोष
विषम गरल पीते आशुतोष
आराध्य सिखता पाठ आचरण
जीवन का आभूषण सदाचरण
धन – संपदा एक साधन मात्र
जीवन कला समझता सुपात्र
सदा रक्षक गोविन्द भगवान
जीवन में भय -चिंता का न स्थान
सत्य निष्ठा से आराधना करना
जग व्यवहार में प्रियता भरना
कृष्ण दयाल शर्मा
9756589980