
राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़
श्री पवन खेड़ा ने कहा – अब विधिवत कन्नन गोपीनाथन जी कांग्रेस पार्टी में आज शामिल हुए हैं। मैं उनको भी बधाई देता हूं और मैं हम सबको भी बधाई देता हूं कि एक ऐसा शख्स कांग्रेस में आया है जो दिल से काम करता है। मैं अब कन्नन गोपीनाथन जी से आग्रह करूंगा कि वह अपने विचार आपके सामने रखें।
श्री कन्नन गोपीनाथन ने कहा – सबसे पहले सबको धन्यवाद यहां पर आने के लिए और कांग्रेस पार्टी जॉइन करने का जो निर्णय था वो… 2019 में रिजाइन किया, उस वक्त एक चीज क्लियर थी कि सरकार जिस दिशा में देश को लेकर जाना चाहती है, वो सही दिशा नहीं है, वो गलत है। गलत क्या है वह क्लियर था और गलत के खिलाफ लड़ना है यह भी क्लियर था, पर अल्टरनेटिव क्या है उस जर्नी तक पहुंचने में मुझे खुद भी क्लेरिटी की जरूरत थी। तो कई सारे 80-90 जिलों में घूमे, ट्रैवल किया, लोगों से बात की, कई सारे लीडर्स से मिले, तब यह क्लियर हुआ कि जिस दिशा में देश को मैं चाहता हूं कि चले, वो कांग्रेस पार्टी लेकर जा सकती है और कांग्रेस की आईडियोलॉजी उसमें आगे लेकर जा सकती है।
सपना क्या है? जहां पर हर नागरिक को उनका अधिकार मिले, अपना सपना देख पाए, वो सपना पूरा करने की कोशिश कर पाए, उसमें सरकार उनकी मदद करे और अगर नहीं करे तो उसी सरकार से सवाल पूछने का उनका हक हो। सिर्फ सपना देखना एक नागरिक का अधिकार नहीं है। सपना पूरा करने में सरकार क्यों नहीं उनकी मदद कर करती है, उसके सवाल पूछना भी एक नागरिक का अधिकार है।
2014 से मैंने जो नोटिस किया वो एक चीज थी कि हम बहुत मुश्किल से प्रजा से नागरिक बने थे… कई सारे राजा पहले भी थे। प्रजा से हम नागरिक बने क्यों? क्योंकि प्रजा सवाल नहीं पूछ सकती थी। सवाल पूछे तो तुरंत राष्ट्रद्रोही या राज्य के खिलाफ बोलने वाले ऐसे माने जाते थे। तो पहली बार हम बहुत मुश्किल से सवाल पूछने लग रहे थे… जैसे आरटीआई हो, जितने अधिकार सरकार ने नागरिकों को दिए, उसके तहत वो सवाल पूछने लगे थे कि तुरंत आकर बोल दिया कि आप सवाल मत पूछो। हम आपको जो कुछ देंगे, आप चुपचाप रहिए, उसको रिसीव करिए। उसके अलावा अगर कुछ पूछेंगे, सरकार की आलोचना करेंगे तो उसकी हम देश की आलोचना से तुलना कर लेंगे और अगर सरकार से सवाल पूछेंगे तो आपको देशद्रोही माना जाएगा… इस बात से मैं बिल्कुल सहमत नहीं था।
देखिए जिनको लगता है कि सरकार सही काम कर रही है, वह उसकी पूर्ण सहमति दें। वे देश प्रेमी हो सकते हैं, जिनको लगता है कि जो सरकार कर रही है, वो देश हित में नहीं है और गलत रास्ते पर लेकर जा रहे हैं, तो उसको सवाल पूछने वाले… क्योंकि वो बहुत सारे कॉस्ट पर, अपने पर्सनल कॉस्ट पर वो सवाल उठाते हैं, वो भी देश प्रेमी हैं। मैं एक ही तबके के लोगों को देशद्रोही मानता हूं। जिनको पता है यह बात कि देश सही दिशा में नहीं जा रहा है, पर अपने फायदे के लिए या लालच या ग्रीड या सर्वाइवल के लिए यह निर्णय ले चुके हैं कि हां हम चुप रहेंगे, क्योंकि चुप रहना ही इस वक्त बेहतर है। तो मैं उस तरीके का देशद्रोही नहीं बनना चाहता था। मुझे यह था कि मुझे जो अपनी बात रखनी है, सवाल उठाना है, वापस हमें प्रजा नहीं बनना है, हमें नागरिक रहना है।
तो उसी में जब जितना ज्यादा बात किया, ये सारे जो थॉट्स हैं वो कांग्रेस की आईडियोलॉजी ही है। ना कि सिर्फ हिस्ट्री है, वह प्रेजेंस है और इसीलिए जितना मैं उसके मतलब पार्टी के साथ मिलकर काम कर सकता हूं और जितना मजबूत कर सकता हूं अपने कार्य से, सेवा से वो करने के लिए मैं तैयार हूं और जहां लगता है मेरा काम आएगा, वहां पर काम करने के लिए मैं तैयार हूं।
बहुत दिल से काफी वक्त लगा पर वो इसलिए क्योंकि मुझे खुद भी एक अपनी जर्नी से थ्रू जाना था। वो सारी क्लेरिटी के साथ तहे दिल से मैं आज कांग्रेस पार्टी में ज्वाइन कर रहा हूं और कांग्रेस पार्टी और देश और देश की जनता के लिए हमेशा काम करता रहूंगा।
धारा 370 हटाने को लेकर पूछे एक प्रश्न के उत्तर में श्री कन्नन गोपीनाथन ने कहा कि मैंने उस वक्त भी उस बात को क्लीयर रखा था कि 370 हटाना है, नहीं हटाना है, वो एक सरकार का निर्णय हो सकता है। पर उसके बाद अगर एक पूरे प्रदेश को आप ये निर्णय करते गए कि आप उसको बंद कर देंगे। जिस तरीके से वहाँ के सारे लीडर को, एमपी को, मान लीजिए ये बात दिल्ली में होती है कि जितने जर्नलिस्ट हैं, जितने एमपी हैं, जितने एक्स सीएम हैं, उन सबको जेल में डाल दिया जाए, यहाँ की ट्रांस्पोर्टेशन बंद की जाए, यहाँ का टेलीफोन बंद किया जाए, यहाँ का इंटरनेट बंद किया जाए, तो क्या वो सही है? ये सिर्फ मेरे लिए सवाल नहीं है, ये हम सबके लिए सवाल है कि क्या वो सही हो सकता है किसी भी देश में, लोकतांत्रिक देश में ये सही हो सकता है या उसके खिलाफ आवाज नहीं उठनी चाहिए थी? तो वो सवाल ही मैंने उठाया है और उस सवाल पर आज भी मैं कायम हूं।
एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्री कन्नन गोपीनाथन ने कहा- (मलयालम में जवाब देना शुरू किया)…I just told कि जैसे मैं केरल से हूं, पर पढ़ाई की झारखंड में और नोएडा में काम किया। उसके बाद वहाँ पर कहीं एनजीओ में, झुग्गी में एक मोटोरोला सेमीकंडक्टर कंपनी में काम किया, शादी की हरियाणा से और उसके बाद मिजोरम में काम किया तीन साल मिजो (भाषा) सीखी, उसके बाद सिलवासा में रहा और अभी पुणे में रहता हूं, महाराष्ट्र में।
तो सवाल ये था कि आपका कार्यस्थल क्या होगा, तो वो थोड़ा मुश्किल है मेरे लिए बताना, मैं जहाँ-जहाँ रहा हूं, सबको अपना ही मानता हूं और जितना मुझसे हो सकता है और जहाँ पार्टी का डायरेक्शन है, उस हिसाब से काम करने लिए तैयार हूं।