
राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़
नालंदा लोकसभा के तहत आने वाली राजगीर विधानसभा सीट 1957 से अनुसूचित जाति (एससी) के लिए रिजर्व है. अब तक इस सीट पर 16 बार चुनाव हो चुका है जिसमें से 9 बार भारतीय जनता पार्टी को सफलता मिली है.बिहार विधानसभा चुनाव की कई ऐसी सीटें है जहां कभी बीजेपी तो कभी राजद तो कभी जदयू को जीत हार मिलती रही है. लेकिन एक सीट ऐसी भी है जहां अब तक 16 बार चुनाव हुआ है और भारतीय जनता पार्टी ने नौ बार जीत हासिल की है, जिसमें दो बार वह भारतीय जनसंघ के रूप में शामिल है. हालांकि पिछली दो बार से इस सीट पर जदयू का कब्जा है.
कौन सी है यह विधानसभा सीट?
नालंदा लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली राजगीर विधानसभा सीट 1957 से अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित है. इसमें राजगीर नगर परिषद, पावापुरी नगर पंचायत और गिरियक प्रखंड के ग्रामीण क्षेत्र शामिल हैं. अब तक 16 बार हुए विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने नौ बार जीत हासिल की है, जिसमें दो बार वह भारतीय जनसंघ के रूप में शामिल है. कांग्रेस, सीपीआई और जदयू ने दो-दो बार, जबकि जनता पार्टी ने एक बार जीत दर्ज की. 2015 से JDU का किला बरकरार
2015 के चुनाव में जदयू के रवि ज्योति कुमार ने भाजपा प्रत्याशी सत्यदेव नारायण आर्य को हराया था. वहीं 2020 में रवि ज्योति कुमार कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़े, लेकिन इस बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा. राजगीर में कुर्मी और यादव मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं, जबकि राजपूत, मुस्लिम और भूमिहार भी महत्वपूर्ण हैं. 000 साल पुराना है इतिहास
पांच पहाड़ियों से घिरा यह नगर लगभग 4000 साल पुराने इतिहास को समेटे हुए है. प्राचीन काल में ‘राजगृह’ के नाम से जाना जाने वाला राजगीर हर्यंक, प्रद्योत, बृहद्रथ और मगध साम्राज्य जैसे शक्तिशाली राजवंशों की राजधानी रहा. हिंदू, बौद्ध और जैन धर्मों के लिए यह एक पवित्र तीर्थस्थल है. महाभारत में राजगीर को जरासंध का साम्राज्य बताया गया है, जिसका युद्धस्थल आज ‘जरासंध अखाड़ा’ के नाम से जाना जाता है.