राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज नेटवर्क।

लखनऊ। प्रदेश में सरकारी विभागों के रिक्त पदों को भरने के वादे सरकार पूरा नहीं कर पा रही है। सालों से कई विभागों में पद रिक्त पड़े हैं। कर्मचारी सेवानिवृत्त तो हो रहे हैं लेकिन नई भर्ती नहीं हो पा रही है। आलम यह है कि तमाम विभागों में रिक्त पदों को भरने के लिए वर्ष 2018 में भर्ती तो निकली थी। इन भर्तियों के संबंध में शासन द्वारा गाइडलाइन भी जारी कर दी गई थी लेकिन हकीकत में लंबा वक्त बीतने के बाद भी इन पदों पर नई नियुक्ति नहीं हो सकी है। जिस कारण युवा इंतजार में हैं। यह बात मानसून सत्र में बनारस से सपा के एमएलसी और सचेतक आशुतोष सिन्हा ने सदन में कही।


यूपी में इलाहाबाद सरकारी नौकरियों की तैयारी के लिए एक बड़ा हब माना जाता है। इसके बाद भी प्रदेश में शिक्षकों के 50 हजार से अधिक पद खाली हैं. ये जानकारी खुद यूपी सरकार ने 12 जून 2020 को सुप्रीम कोर्ट को दी थी। तब सरकार ने बताया था कि उस समय राज्य के प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों के 51,112 पद खाली हैं। उसके बाद हर साल हज़ारों की संख्या में शिक्षकों की सेवानिवृत्ति से और भी पद खाली हुए हैं। बावजूद इसके साल 2018 के बाद से इसकी नियुक्ति प्रक्रिया ही शुरू नहीं हो सकी है। इसके अलावा वर्ष 2018 में वन दरोगा व वन रक्षक, 2019 में बोरिंग टेक्नीशियन, 2015 में राजस्व निरीक्षक, 2017 में परिवहन निरीक्षक और 2018 में सहायक सांख्यिकीय अधिकारी की भर्ती निकली थी। यह बात दीगर है कि आज तक इन पदों पर नई भर्ती नहीं हो सकी है। वहीं अगर महिलाओं में रोजगार की उपलब्धता की बात करें तो स्थिति और भी खराब है। उत्तर प्रदेश में महिलाओं की बेरोजगारी दर 22.6 प्रतिशत है। जबकि वर्ष 2017 मई-अगस्त में महिलाओं कीं बेरोजगारी दर 16.9 प्रतिशत थी। अगर वर्ष 2017 से तुलना करें तो पाएंगे कि पिछले सात सालों में महिलाओं में बेरोजगारी दर में 5.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।

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