राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़ नेटवर्क
बिहार विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) और जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने इस बार कम सीट पर चुनाव लड़ने के बावजूद अपने वोट प्रतिशत में बढ़ोतरी दर्ज की है, जो बेहतर बूथ प्रबंधन और मतदाताओं में सत्ता-विरोधी लहर के सीमित असर का संकेत देता है।
JDU ने भी इस चुनाव में उल्लेखनीय बढ़त दर्ज की
निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के अनुसार, भाजपा का वोट प्रतिशत 2020 के 19.46 प्रतिशत से बढ़कर इस बार 20.08 प्रतिशत हो गया, जबकि पार्टी ने पिछली बार की 110 सीट की तुलना में इस बार 101 पर चुनाव लड़ा था। जदयू ने भी इस चुनाव में उल्लेखनीय बढ़त दर्ज की। उसका वोट प्रतिशत 2020 के 15.39 प्रतिशत से बढ़कर 19.25 प्रतिशत हो गया। जदयू ने 2020 में 115 सीट पर मुकाबला किया था, जबकि इस बार उसने 101 सीट पर अपने उम्मीदवार उतारे। राजद ने इस चुनाव में सबसे अधिक 141 सीट पर उम्मीदवार उतारे और उसे 23 प्रतिशत वोट मिले। यह उसके पिछले वोट शेयर 23.11 प्रतिशत की तुलना में मामूली गिरावट है। पिछली बार पार्टी 144 सीट पर चुनाव लड़ी थी।

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) का हिस्सा बनी चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) को कुल वोट का 4.97 प्रतिशत मिला, जबकि 2020 में अविभाजित लोजपा का वोट शेयर 5.66 प्रतिशत था। उस समय लोजपा 135 सीट पर लड़ी थी, जबकि इस बार एलजेपी (आरवी) ने 28 सीट पर मुकाबला किया। ‘इंडिया’ गठबंधन के अन्य दलों में कांग्रेस का वोट प्रतिशत 2020 के 9.48 प्रतिशत से घटकर 8.72 प्रतिशत रह गया। कांग्रेस पिछली बार 70 सीट पर लड़ी थी, जबकि इस बार उसने 61 सीट पर अपने उम्मीदवार उतारे। भाकपा (माले) लिबरेशन का वोट प्रतिशत भी 3.16 प्रतिशत से घटकर 2.84 प्रतिशत हो गया। असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम, जिसने इस बार स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ा, को कुल वोट का लगभग दो प्रतिशत मिला। 2020 में उसका वोट शेयर 1.24 प्रतिशत था।


















































































































































































































