संसद के शीतकालीन सत्र (Winter Session of Parliament) की शुरुआत से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष पर तीखा हमला बोला है। प्रधानमंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा कि कुछ राजनीतिक दल अभी भी बिहार चुनाव (Bihar Elections) में मिली हार को पचा नहीं पा रहे हैं और उन्होंने उम्मीद जताई कि संसद का यह सत्र “विघटन” (Disruption) का केंद्र नहीं बनेगा।
विपक्ष से अपील: कामकाज में बाधा न डालें
संसद सत्र से पहले अपने सबसे सख्त बयानों में से एक में प्रधानमंत्री ने विपक्ष को काम करने के तरीके को लेकर एक सीधी चुनौती दी। प्रधानमंत्री ने कहा कि वह विपक्ष को काम करने के तरीके बताने के लिए तैयार हैं लेकिन उन्हें शीतकालीन सत्र के दौरान संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के कामकाज में बाधा नहीं डालनी चाहिए। उनका यह बयान इस बात पर ज़ोर देता है कि विपक्ष को विरोध के बजाय रचनात्मक चर्चा और सहयोग पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए ताकि संसदीय कार्यवाही सुचारू रूप से चल सके।
बिहार चुनाव की हार का सीधा ज़िक्र
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में सीधे तौर पर विपक्षी दलों को निशाने पर लिया जिनका प्रदर्शन हाल ही में संपन्न हुए बिहार विधानसभा चुनावों में आशा के अनुरूप नहीं रहा था। उन्होंने कहा कि विपक्ष को चुनावी हार को भुलाकर अब देश के महत्वपूर्ण कानूनों और नीतियों पर चर्चा में सहयोग करना चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी ने ज़ोर देकर कहा कि संसद बहस और विचार-विमर्श का केंद्र है न कि बाधा और अराजकता का। उनका यह बयान आगामी सत्र के हंगामेदार होने के स्पष्ट संकेत दे रहा है।




































































































































































































































































































































