राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़ नेटवर्क। त्रिपुरा में टिपरा मोथा पार्टी के विधायक रंजीत देबबर्मा ने सरकार से समर्थन वापसी की धमकी दी है। उन्होंने आरोप लगाया कि आदिवासी समाज के लिए हुए टिपरासा समझौते को लागू नहीं किया जा रहा। मुख्यमंत्री माणिक साहा ने कहा कि प्रक्रिया जारी है। टीएमपी प्रमुख प्रद्योत किशोर ने भी विधायक के बयान से असहमति जताई। सरकार पर फिलहाल कोई बड़ा संकट नहीं है।त्रिपुरा की राजनीति में एक बार फिर उबाल आ गया है। बीजेपी के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार में शामिल टिपरा मोथा पार्टी (टीएमपी) के विधायक रंजीत देबबर्मा ने सरकार से समर्थन वापसी की धमकी दी है। उन्होंने आरोप लगाया कि आदिवासियों के हित में किए गए ‘टिपरासा समझौते’ को लागू नहीं किया जा रहा। हालांकि, मुख्यमंत्री माणिक साहा ने इस पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और संयमित रुख अपनाया।रविवार को पत्रकारों से बात करते हुए मुख्यमंत्री माणिक साहा ने कहा कि वो (रंजीत देबबर्मा) अलग पार्टी से हैं। उन्होंने जो कहा, वो उनका निजी विचार है। मैं इस पर कोई टिप्पणी करना ठीक नहीं समझता। मुख्यमंत्री ने बताया कि टीएमपी प्रमुख प्रद्योत किशोर माणिक्य देबबर्मा से उनकी लगातार बातचीत होती रहती है और आदिवासी समाज के विकास के लिए समझौते को लागू करने की प्रक्रिया जारी है।
क्या है ‘टिपरासा समझौता’, जिस पर मचा बवाल?
मार्च 2024 में त्रिपुरा सरकार, केंद्र सरकार और टीएमपी के बीच ‘टिपरासा समझौता’ हुआ था। इसका मकसद त्रिपुरा के आदिवासी समाज की समस्याओं का समाधान और उनके सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देना था। टीएमपी ने इस समझौते के बाद बीजेपी गठबंधन में शामिल होकर दो मंत्री पद भी हासिल किए।
समर्थन वापसी की धमकी क्यों?
टीएमपी विधायक रंजीत देबबर्मा ने शनिवार को कहा कि अगर सरकार ने समझौते में किए गए वादे पूरे नहीं किए तो पार्टी सरकार से समर्थन वापस ले सकती है। उन्होंने कहा कि समझौते को लेकर गांवों में निराशा और असुरक्षा का माहौल है। ऐसे में समर्थन वापसी पर विचार करना पड़ सकता है।मुख्यमंत्री माणिक साहा ने साफ किया कि आदिवासियों से जुड़े मुद्दों के समाधान की प्रक्रिया रुकी नहीं है। उन्होंने कहा कि मैं टीएमपी प्रमुख प्रद्योत किशोर माणिक्य से लगातार संपर्क में हूं। केंद्र सरकार की मौजूदगी में जो समझौता हुआ, उसे लागू करने के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।
प्रद्योत किशोर का बयान- विधायक की बात से मैं सहमत नहीं
टीएमपी प्रमुख प्रद्योत किशोर माणिक्य ने भी विधायक रंजीत देबबर्मा के बयान से खुद को अलग करते हुए कहा कि मुझे नहीं पता उन्होंने क्या कहा। मैंने मुख्यमंत्री से बात की है। 18 महीने बीत चुके हैं, हम चाहते हैं कि समझौते को जल्द लागू किया जाए। अगर हमारे विधायक ने गुस्से में ऐसा बयान दिया है तो हम अंदर ही अंदर बात करेंगे।टीएमपी के 13 विधायक हैं, जबकि त्रिपुरा विधानसभा में कुल 60 सीटें हैं। बीजेपी के पास 33 विधायक हैं और आईपीएफटी का भी समर्थन है। ऐसे में अगर टीएमपी समर्थन वापस लेती है तो भी माणिक साहा सरकार पर फिलहाल कोई बड़ा संकट नहीं है। हालांकि, सरकार आदिवासी समाज के मुद्दों को लेकर सतर्क है।











































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































































