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आज जस्टिस सूर्यकांत ने भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ ली। इस विशेष समारोह में ब्राज़ील, भूटान, केन्या, मलेशिया, मॉरिशस, नेपाल और श्रीलंका के मुख्य न्यायाधीश शामिल रहे, जो भारतीय न्यायपालिका के वैश्विक संबंधों की नई दिशा को दर्शाता है।

हाइलाइट्स:

  • CJI-शपथ ग्रहण: भारत में पहली बार विदेशी न्यायाधीशों का रिकॉर्ड हिस्सा-दारी
  • न्यायपालिका ने दिखाया वैश्विक चेहरा: सात देशों के चीफ जस्टिस शामिल
  • भारत की न्याय व्यवस्था का अंतरराष्ट्रीय मंच-परिवर्तन: जस्टिस सूर्यकांत का पदारोहण
  • शपथ-समारोह में ब्राज़ील, भूटान, केन्या, मलेशिया, मॉरिशस, नेपाल, श्रीलंका के चीफ जस्टिस शामिल

नई दिल्ली। राष्ट्रपति भवन के ऐतिहासिक दरबार हॉल में सोमवार को हुए भव्य समारोह में जस्टिस सूर्यकांत ने भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ ली। इस मौके ने भारत की न्यायिक और कूटनीतिक ताकत को वैश्विक मंच पर और मजबूत किया। पहली बार ऐसा हुआ जब 7 देशों—ब्राज़ील, भूटान, केन्या, मलेशिया, मॉरिशस, नेपाल और श्रीलंका के चीफ जस्टिस एक साथ भारतीय CJI के शपथ ग्रहण में शामिल हुए।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जस्टिस सूर्यकांत को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। समारोह में उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय कानून मंत्री, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीशों, विभिन्न उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों और कानूनी जगत की विशिष्ट हस्तियों की मौजूदगी रही।

जस्टिस सूर्यकांत ने CJI बी. आर. गवई का स्थान लिया, जिनका कार्यकाल 23 नवंबर को पूरा हुआ। नए मुख्य न्यायाधीश फरवरी 2027 तक देश की न्यायिक व्यवस्था का नेतृत्व करेंगे।

शपथ के बाद जस्टिस सूर्यकांत ने संक्षिप्त संबोधन में कहा कि “न्याय तक आसान पहुंच, लंबित मामलों में कमी, तकनीकी सुधार और पारदर्शी न्यायिक कार्यप्रणाली” उनकी प्राथमिकता होगी। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट जिला अदालतों और हाई कोर्ट के कार्यप्रवाह को मजबूत करने पर फोकस करेगा ताकि आम नागरिक को कम समय में न्याय मिल सके।

कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस समारोह में रिकॉर्ड भागीदारी भारत की न्यायिक साख और लोकतांत्रिक संस्थाओं की वैश्विक विश्वसनीयता को दर्शाती है। जस्टिस सूर्यकांत संवैधानिक, मानवाधिकार, चुनावी सुधार और सिविल विवादों के मामलों में अपने स्पष्ट और प्रगतिशील दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं। आने वाले महीनों में सुप्रीम कोर्ट में कई महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई उनकी अध्यक्षता वाली पीठ के सामने होगी।

शपथ ग्रहण कार्यक्रम रात तक चर्चा का केंद्र बना रहा और न्यायिक इतिहास में इसे एक “मील का पत्थर” माना जा रहा है।

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विशेष संवाददाता – मनोज शुक्ल

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