राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़ । अमेरिका की संसद की विशेष समिति के अध्यक्ष जॉन मूलनार ने चीन को भेजे जाने वाले एआई चिप पर ‘रोलिंग टेक्निकल थ्रेशोल्ड’ रणनीति लागू करने की सलाह दी है, ताकि चीन की तकनीक अमेरिका से पीछे रहे। इस रणनीति का मकसद चीन की एआई कंप्यूटिंग क्षमता को अमेरिका के 10 फीसदी तक सीमित करना है। उन्होंने कहा कि चीन की तकनीक से अमेरिका और उसके सहयोगियों को खतरा बन सकती है, इसलिए यह कदम जरूरी है।चीन पर अमेरिका की विशेष संसदीय समिति के अध्यक्ष जॉन मूलनार ने वाणिज्य विभाग के सचिव हावर्ड लटकनिक को पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने चीन को निर्यात की जाने वाली एआई चिप पर ‘रोलिंग टेक्निकल थ्रेशोल्ड’ (आरटीटी) रणनीति लागू करने की सिफारिश की है। मूलनार मिशिगन राज्य से रिपब्लिकन पार्टी के सांसद हैं।इस रणनीति का मकसद यह है कि चीन को जो एआई चिप निर्यात किए जाएं, वे उन चिप से थोड़े बेहतर हों जिन्हें चीन खुद अपने देश में बड़े पैमाने पर बना सकता है। इस तरह अमेरिका अपनी तकनीकी बढ़त बनाए रख सकेगा। साथ ही, इस रणनीति का एक और लक्ष्य यह है कि चीन की कुल एआई कंप्यूटिंग शक्ति अमेरिका की तुलना में केवल 10% तक सीमित रहे, ताकि अमेरिका लंबे समय तक एआई में अग्रणी बना रहे। मूलनार ने पिछले महीने एनवीडिया कंपनी के एच20 जैसे चिप के चीन निर्यात पर नाराजगी जताई थी। ऐसे चिप चीन में बड़े पैमाने पर नहीं बना पाता है और ये चीन में बने चिप की तुलना में काफी उन्नत माने जाते हैं।संसदीय समिति की अप्रैल 2025 की डीपसीक पर रिपोर्ट के अनुसार, इन चिप ने चीन के सबसे उन्नत एआई मॉडल आर1 को तैयार करने में अहम भूमिका निभाई थी। मूलनार ने पत्र में लिखा है, हमने कई बार देखा है कि चीन अपनी तकनीक और हथियार रूस, ईरान और अन्य दुश्मन को देता है, जिससे अमेरिका के सहयोगी देशों पर हमले होते हैं। खासकर ईरान, चीन की एआई क्षमताओं का लाभ उठाने को तैयार बैठा है। उन्होंने आगे कहा कि डीपसीक द्वारा चीनी सेना के लिए खास तौर पर तैयार किया गया आर1 मॉडल अब चीन की सैन्य क्षमताओं में एक विकल्प के रूप में शामिल हो सकता है। उदाहरण के लिए, अगर चीन ऐसे एआई-सक्षम ड्रोन के झुंड ईरान को बेचता है, जिनमें खुद-ब-खुद चलने की क्षमता, आपस में जुड़ने की क्षमता, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध तकनीक और लक्ष्य पहचान जैसी खूबियां हों, तो ये अमेरिका या इस्राइल की सेनाओं के लिए बड़ी चुनौती बन सकते हैं। मौजूदा सुरक्षा प्रणाली शायद इन तकनीकों का मुकाबला आसानी से नहीं कर पाएगी।आरटीटी रणनीति का मकसद यह है कि चीन अमेरिकी हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर पर निर्भर बना रहे, लेकिन उसकी एआई तकनीक सीमित रहे। संसदीय समिति के अनुसार, इससे अमेरिका की बढ़त बनी रहेगी। इससे पहले मूलनार ने तकनीकी रणनीति पर काम करने वाले क्रैक इंस्टीट्यूट में अपने संबोधन में कहा था कि सेमीकंडक्टर, एआई और क्वांटम कंप्यूटिंग केवल आर्थिक संसाधन नहीं है, बल्कि राष्ट्र की सुरक्षा, कूटनीति और वैश्विक प्रभाव बनाए रखने के लिए भी बेहद जरूरी है।

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