In collusion between the contractor and the forest department, saws were used on banned trees
  • September 14, 2025
  • kamalkumar
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राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़ नेटवर्क लखीमपुर खीरी : उत्तर प्रदेश सरकार जहां एक ओर “पेड़ लगाओ, जीवन बचाओ” और “एक पेड़ मां के नाम” जैसे अभियानों के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण को लेकर जागरूकता फैला रही है, वहीं दूसरी ओर जमीनी हकीकत इसके विपरीत नजर आ रही है।

विकासखंड ईसानगर की ग्राम सभा मिलिक में बीती रात प्रतिबंधित फलदार पेड़ों की अवैध कटाई की गई। इन पेड़ों में 7 जामुन और 8 आम के पेड़ शामिल हैं, जो न केवल पर्यावरणीय दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि कानूनी रूप से संरक्षित श्रेणी में आते हैं। ठेकेदार पर आरोप, विभाग पर मिलीभगत का संदेह स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, उक्त कटाई ठेकेदार कलीम अहमद (निवासी काजीपुर) द्वारा कराई गई। मामले की गंभीरता तब बढ़ गई जब धौरहरा रेंज के रेंजर नरेंद्र चतुर्वेदी ने यह स्वीकार किया कि ग्राम मिलिक के लिए कोई परमिट जारी नहीं किया गया है।

हालांकि, रेंजर का यह दावा तब सवालों के घेरे में आ गया जब फॉरेस्ट गार्ड उत्तम पांडे ने रेंजर को जानकारी दी थी कि “सिर्फ जलौनी लकड़ी” काटी जा रही है, जबकि मौके पर आम और जामुन जैसे प्रतिबंधित पेड़ों की कटाई स्पष्ट रूप से देखी गई।

पूछताछ में फॉरेस्ट गार्ड उत्तम पांडे और बन दरोगा नरेंद्र सिंह ने पेड़ों की कटाई से अनभिज्ञता जताई। मगर ठेकेदार कलीम अहमद ने खुद कबूल किया कि उनके बड़े भाई मुन्ना द्वारा कटाई से पूर्व बन दरोगा नरेंद्र सिंह को ‘हिस्सा’ सिकटिहा पेट्रोल पंप पर पहुंचा दिया गया था। इन खुलासों से यह संदेह और भी गहरा हो गया है कि वन विभाग के अधिकारी और लकड़ी माफिया आपसी सांठगांठ के तहत प्रतिबंधित पेड़ों की अवैध कटाई करवा रहे हैं। धौरहरा रेंज बना लकड़ी माफियाओं का गढ़ यह अकेला मामला नहीं है। धौरहरा वन रेंज क्षेत्र में बड़े पैमाने पर लकड़ी माफिया सक्रिय हैं, जो जामुन जैसे बहुपयोगी वृक्षों का समूल विनाश कर रहे हैं। कटाई की गई लकड़ी लखनऊ, लहरपुर, सीतापुर, बिसवा जैसे प्रमुख बाजारों में खपाई जा रही है, जिससे माफिया मोटी कमाई कर रहे हैं और विभाग मौन बना हुआ है। वन संरक्षण नियमों की खुली धज्जियां सरकार द्वारा लागू किए गए वन संरक्षण अधिनियम और पर्यावरणीय दिशानिर्देशों का यह खुला उल्लंघन न केवल कानून का मखौल उड़ाता है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए गंभीर पर्यावरणीय संकट भी उत्पन्न कर सकता है।

जनहित में प्रमुख मांगें:-

पूरे मामले की स्वतंत्र एजेंसी से निष्पक्ष जांच कराई जाए। दोषी ठेकेदारों और वन विभाग के अधिकारियों के विरुद्ध FIR दर्ज कर सख्त कार्रवाई की जाए। कटे हुए पेड़ों की भरपाई हेतु ग्राम स्तर पर व्यापक पौधारोपण अभियान चलाया जाए।

धौरहरा रेंज व अन्य प्रभावित क्षेत्रों में चल रही अवैध लकड़ी कटाई पर तत्काल रोक लगाई जाए। 

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