
राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़ नेटवर्क। सिविल सेवा से इस्तीफा देने के बाद योगी आदित्यनाथ के कैबिनेट मंत्री शामिल ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा सुर्खियों में हैं। हाल ही में वायरल हुए एक वीडियो में उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री शर्मा बुधवार को एक बैठक में अपने विभाग के अधिकारियों से गुस्से में भिड़ते हुए दिखाई दे रहे हैं। इसके बाद योगी आदित्यनाथ ने भी ऊर्जा विभाग के अधिकारियों की बैठक बुला ली थी। इन सबके बीच ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने अपने विभाग के ‘मनमाने’ और ‘लापरवाह’ अधिकारियों/कर्मचारियों पर निशाना साधा। अरविंद कुमार शर्मा ने के कर्यालय ने एक्स पोस्ट में लिखा कि ऊर्जा मंत्री एके शर्मा की सुपारी लेने वालों में विद्युत कर्मचारी के वेश में कुछ अराजक तत्व भी हैं। कुछ विद्युत कर्मचारी नेता काफ़ी दिनों से परेशान घूम रहे हैं क्योंकि उनके सामने ऊर्जा मंत्री जी झुकते नहीं हैं। ये वही लोग हैं जिनकी वजह से बिजली विभाग बदनाम हो रहा है। ज्यादातर विद्युत अधिकारियों और कर्मियों के दिन-रात की मेहनत-पुरुषार्थ पर ये लोग पानी फेर रहे हैं। पोस्ट में दावा किया गया है कि एके शर्मा जी के तीन वर्ष के कार्यकाल में ये लोग चार बार हड़ताल कर चुके हैं। पहली हड़ताल तो उनके मंत्री बनने के तीन दिन बाद ही होने वाली थी। अंततः बाहर से प्रेरित हड़ताल पर हड़ताल की इनकी शृंखला पर माननीय हाईकोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ा। अन्य विभागों में हड़ताल क्यों नहीं हो रही? वहाँ यूनियन नहीं हैं क्या? वहाँ समस्या या मुद्दे नहीं हैं क्या? इन लोगों द्वारा ली गई सुपारी के तहत ही कुछ दिन पहले ये अराजक तत्व ऊर्जा मंत्री जी के सरकारी निवास पर आकर निजीकरण के विरोध के नाम पर छ घंटे तक अनेक प्रकार की अभद्रता किये और उनके और परिवार के विरुद्ध असभ्य भाषा का प्रयोग किए। और ए के शर्मा ऐसे हैं कि इन्हें मिठाई खिलाये और पानी पिलाये तथा मिलने के लिए अढ़ाई घंटा प्रतीक्षा किए।
जहाँ तक निजीकरण का प्रश्न है इनसे कोई पूछे कि:
- जब 2010 में टोरेंट कंपनी को निजीकरण करके आगरा दिया गया तब भी तुम लोग यूनियन लीडर थे। कैसे हो गया यह निजीकरण? सुना है वो शांति से इसलिए हो गया कि ये बड़े कर्मचारी नेता लोग हवाई जहाज़ से विदेश पर्यटन पर चले गए थे।
- दूसरा प्रश्न यह है कि जब तुम लोग सारी बातें बारीकी से जानते हो तो यह भी जानते ही होगे कि निजीकरण का इतना बड़ा निर्णय अकेला ए के शर्मा का नहीं हो सकता। जब एक JE तक का ट्रांसफ़र ऊर्जा मंत्री नहीं करता, जब UPPCL प्रबंधन की सामान्य कार्यशैली स्वतंत्र है तो इतना बड़ा निर्णय कैसे ऊर्जा मंत्री अकेले कर सकता है?
- तुम यह भी जानते हो कि वर्तमान में यह पूरा निर्णय चीफ सेक्रेटरी की अध्यक्षता में बनाई गई टास्क फोर्स ले रही है। उसके तहत ही सारी कार्यवाही हो रही है।
- तुम लोग पूरी तरह जानते हो कि राज्य सरकार की उच्चस्तरीय अनुमति से ही औपचारिक शासनादेश हुआ है निजीकरण का।
पोस्ट में साफ तौर पर कहा गया है कि लगता है कि ए के शर्मा जी से जलने वाले सभी लोग इकट्ठे हो गए हैं। लेकिन ईश्वर और जनता ए के शर्मा जी के साथ हैं। उनकी भावना बिजली की बेहतर व्यवस्था सहित जनता की बेहतर सेवा करने की है। और कुछ नहीं। जाको राखे साइयाँ…।