राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़ नेटवर्क
नयी दिल्ली कांग्रेस ने शनिवार को कहा कि हाल में पाकिस्तान के खिलाफ हुई सैन्य कार्रवाई में वायु सेना ने अत्यंत सराहनीय और जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए आतंकवादी ठिकानों को सटीक निशाना बनाकर ध्वस्त किया लेकिन चीन की तुलना में भारतीय वायु सेना को ज्यादा सशक्त बनाने की जरूरत है और इसके लिए अत्याधुनिक तकनीकी तथा उपकरण के इस्तेमाल पर सरकार को ध्यान देना पड़ेगा। तेलंगाना सरकार में मंत्री तथा वायु सेना में फाइटर पायलट रहे डॉ.उत्तम कुमार रेड्डी ने शनिवार को यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा,“ पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई में भारतयी वायु सेना ने भूमिका निभाई है और इस दौरान उसने जिस शौर्य का प्रदर्शन किया है वह सरहानीय है और हमारी वायु सेना ने जिस तरह से असाधारण अभियान चलाकर आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया है उस पर कांग्रेस को गर्व है। उन्होंने वायु सेना प्रमुख ए पी सिंह के हालिया बयानों को उद्धृत करते हुए कहा कि उन्होंने वायु सेना सुधार के हिसाब से कई अत्यंत गंभीर और चिंताजनक मुद्दों को उठाया है। एयर चीफ मार्शल ने देश की वायु रक्षा से जुड़े जिन महत्वपूर्ण मुद्दों की तरफ इशारा किया है सरकार को उस पर ध्यान देने की जरूरत है। उनका कहना था कि लड़ाकू विमानों और हथियारों की आपूर्ति में भारी देरी वायुसेना के लिए एक गंभीर समस्या है। भारत रक्षा प्रौद्योगिकी और रक्षा उत्पादन क्षेत्र में चीन से पीछे है हालांकि अच्छी बात यह है कि हमारे प्रशिक्षण मानक चीन के मुकाबले बहुत बेहतर हैं। उन्होंने वायु सेना में सुधार के लिए गंभीर विषय सामने रखे हैं और सरकार को देश की वायु सेना को मजबूत बनाने की दिशा में सुधारात्मक तथा आवश्यक कदम उठाने चाहिए। कांग्रेस नेता ने कहा,“ बकौल एअर मार्शल सिंह भारत के पास लड़ाकू विमानों की कमी है और हमारी वायुसेना को सालाना 35-40 लड़ाकू विमानों की जरूरत होती है। एचएएल को हर साल 24 लड़ाकू विमान आपूर्ति करने का अनुबंध दिया गया है और वह इसे भी पूरा करने में विफल रहा है।”उन्होंने कहा कि वायुसेना प्रमुख ने समय सीमा, अनुबंध, खरीद प्रक्रिया को दुरुस्त करने और संस्थागत विश्वास बनाए रखने की तरफ भी इशारा किया है। यह हालात तब है जब भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) सरकार आत्मनिर्भर भारत की घोषणा कर चुकी है। उनका कहना था कि कांग्रेस स्वदेशीकरण और इसकी गति तेज करने का समर्थन करती है लेकिन इसमें यह भी ध्यान रखना है कि स्वदेशीकरण ने अब तक गुणवत्ता और पर्याप्त आपूर्ति के मामले में रक्षा बलों की जरूरतों को पूरा नहीं किया है। उन्होंने कहा कि वायु सेना प्रमुख ने एक और महत्वपूर्ण मुद्दा उठाते हुए चिंता जताई है कि प्रतिभाशाली लोग वायु सेना में कम आ रहे हैं। इस दिशा में भी सरकार को जरूरी कदम उठाकर वायुसेना के परिचालन विंग और अनुसंधान तथा विकास दोनों में प्रतिभाशाली युवाओं की भर्ती की दिशा में काम करना चाहिए। उनका कहना था कि सरकार को वायु सेना के बेहतर संचालन के इसके संचालन में नयी प्रौद्योगिकी पर ध्यान देना पड़ेगा क्योंकि प्रौद्योगिकी में देरी का मतलब है प्रौद्योगिकी से वंचित हो जाना। रेड्डी ने कहा, “मैं खुद रक्षा मामलों की स्थायी संसदीय समिति में रहा हूं और कई मौकों पर सरकार को कहा है कि रक्षा क्षेत्र में 42 आपरेशनल फाइटर स्क्वाड्रन की स्वीकृति है लेकिन हमारे पास केवल 31 स्क्वाड्रन हैं जो आवश्यकता से काफी कम है। प्रत्येक स्क्वाड्रन में 16 से 18 लड़कू विमान होते हैं। यह संख्या चीन की वायु सेना की ताकत के मुकाबले काफी कम है। यही नहीं सेना में मानव शक्ति भी स्वीकृत मानकों से दस फीसदी से अधिक कम हैं। सेना में भर्ती प्रक्रिया कोविड के समय कम हुई थी लेकिन अब तक उसमें गति नहीं आई है। तेजस एमके-1ए लड़ाकू विमानों की समय पर डिलीवरी न कर पाना वायुसेना के लिए गंभीर समस्या साबित हो सकता है। वायुसेना प्रमुख ने खुद इस स्थिति पर अपनी नाखुशी जाहिर की है और पूरे देश और भारत सरकार को इस हकीकत को समझना होगा कि हमें अपनी सेनाओं को और मजबूत करने की जरूरत है।’’

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