नीलेश राणे ने सिंधुदुर्ग नव गठित शहर विकास आघाडी के प्रचार अभियान के दौरान शुक्रवार को कहा कि गठबंधन भाजपा के वरिष्ठ नेतृत्व के कारण नहीं, बल्कि चव्हाण के कारण टूटा है। राणे और चव्हाण के बीच संबंध तनावपूर्ण रहे हैं।राणे ने सवाल किया, ‘‘यदि रत्नागिरी के राजापुर और लांजा में शिवसेना के साथ सीट बंटवारा संभव था और ऐसा समायोजन चिपलुन में भी हो सका, तो सिंधुदुर्ग के प्रति नाराजगी क्यों?’’उन्होंने दावा किया, ‘‘मालवन में हम 10 सीट देने को तैयार थे और सवंतवाडी में (शिवसेना नेता) दीपक केसरकर 50-50 फॉर्मूले के लिए तैयार थे। कणकवली में हमें कहा गया कि हम केवल एक या दो सीट पर चुनाव लड़ सकते हैं। बैनर से हमारी तस्वीर हटा दी गईं। अगर उन्होंने सिर्फ मेरी तस्वीर हटायी तो ठीक था, लेकिन (उप मुख्यमंत्री एवं शिवसेना प्रमुख) एकनाथ शिंदे की तस्वीर हटाने से हमें दुख हुआ।’’राणे ने चव्हाण के सिंधुदुर्ग में तीन दिन तक रहने पर भी सवाल उठाया और कहा, ‘‘वह अंतिम चरण में बताएंगे कि उनकी बैठकों में क्या निर्णय लिया गया।’’ उन्होंने कहा कि मतभेद के बावजूद शिवसेना ने गठबंधन बनाए रखने का प्रयास किया। नीलेश कहा कि अब उन्होंने फैसला किया है कि (उनके पिता एवं भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता) नारायण राणे जो भी कहेंगे वह उन्हें स्वीकार होगा। राणे ने यह भी कहा कि गठबंधन नहीं चाहने के कारण अब भी स्पष्ट नहीं हैं और केवल रवींद्र चव्हाण ही इसे समझा सकते हैं।शहार विकास आघाडी में शिवसेना, उद्धव ठाकरे की शिवसेना (उबाठा), कांग्रेस और शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद चंद्र पवार) शामिल हैं। नीलेश के छोटे भाई, भाजपा नेता एवं राज्य के मंत्री नितेश राणे ने विवाद को तूल नहीं देने की कोशिश की और कहा, ‘‘उनके भाई ने किसी का नाम नहीं लिया है।’’ चव्हाण और भाजपा के अन्य नेताओं ने नीलेश राणे के आरोपों पर अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

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