राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज नेटवर्क। आज दुनिया भर में विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जा रहा है। हर साल 5 जून को मनाया जाने वाला यह दिन पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने और पृथ्वी को बचाने के लिए प्रेरित करने का एक वैश्विक अभियान है। 2025 में इसका फोकस विशेष रूप से प्लास्टिक प्रदूषण पर है, जो नदियों, समुद्रों, जानवरों और हमारी हेल्थ पर भी असर डालता है। चलिए जानते हैं इस मौके पर हम कैसे योगदान दे सकते हैं।
प्लास्टिक प्रदूषण क्या है?
यह प्रदूषण प्लास्टिक की वस्तुओं (बैग, बोतल, पैकेजिंग आदि) के अधिक उपयोग और अनुचित निपटान से होता है। प्लास्टिक न तो आसानी से नष्ट होता है और न ही पर्यावरण में घुलता है यह सैकड़ों सालों तक नुकसान पहुंचा सकता है। पिछले 70 सालों में प्लास्टिक उत्पादन में तेजी से वृद्धि हुई है। 1950 में दुनिया भर में सिर्फ दो मिलियन टन प्लास्टिक का उत्पादन होता था। अब दुनिया भर में 450 मिलियन टन से ज्यादा प्लास्टिक का उत्पादन होता है। भारत सहित दुनिया भर में 21.8 करोड़ लोगों पर प्लास्टिक की वजह से बाढ़ का गंभीर खतरा मंडरा रहा है।
प्लास्टिक के खिलाफ हम कैसे दे सकते हैं योगदान
सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग बंद करेंः प्लास्टिक बैग की जगह कपड़े या जूट के थैले इस्तेमाल करें। प्लास्टिक स्ट्रॉ, चम्मच, प्लेट आदि की जगह बाँस या स्टील के विकल्पअपनाएं।
री-यूजेबल बोतल और टिफिन इस्तेमाल करेंः हर बार प्लास्टिक की बोतल या टिफिन खरीदने की बजाय, धातु या कांच की बोतल और स्टील टिफिन उपयोग करें।
बायोडीग्रेडेबल चीजें चुनेंः ऐसे प्रोडक्ट्स का चुनाव करें जो प्राकृतिक रूप से नष्ट हो सकते हैं, जैसे- बायोडीग्रेडेबल ब्रश, कटलरी, बैग आदि।
रीसायकल करेंः प्लास्टिक की वस्तुओं को सही तरह से अलग करें और रीसायकल केंद्र तक पहुंचाएं। गीला-कचरा और सूखा-कचरा अलग-अलग करें।
परिवार और बच्चों को भी सिखाएंः बच्चों को प्लास्टिक के खतरे के बारे में बताएं और पर्यावरण मित्र चीजों को अपनाने की आदत डालें।
पेड़ लगाएं और किचन गार्डन शुरू करें
प्लास्टिक के उपयोग को कम करने के साथ-साथ हरे-भरे वातावरण के लिए पेड़ लगाना और खुद का गार्डन बनाना भी जरूरी है। पर्यावरण संरक्षण से जुड़े कार्यक्रमों, रैलियों या सफाई अभियानों में भाग लें। ऑनलाइन शॉपिंग करते समय प्लास्टिक मुक्त विकल्प चुनें, कंपनियों से पेपर या इको-फ्रेंडली पैकेजिंग की मांग करें। याद रखें कि पर्यावरण की रक्षा सिर्फ एक दिन का काम नहीं, बल्कि हर दिन की जिम्मेदारी है। छोटे-छोटे कदम मिलकर बड़ा बदलाव ला सकते हैं।

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