Poets spread humor, satire and social awareness in the monthly poetry meet
  • September 7, 2025
  • kamalkumar
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राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़ नेटवर्क हरदोई : सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था श्री सरस्वती सदन सेवा समिति, हरदोई के तत्वावधान में सदन सभागार में मासिक काव्य गोष्ठी में कविगणों ने अपनी रचनाओं से हास्य व्यंग्य के साथ राष्ट्रीय और सामाजिक चेतना बिखेरी। सदन अध्यक्ष एवं कवि श्रवण कुमार मिश्र ‘राही’ ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण के साथ दीप प्रज्ज्वलन कर काव्य गोष्ठी का शुभारम्भ हुआ। कवियों ने काव्य गोष्ठी की निरंतरता से साहित्य की धारा को प्रवाहित करने के लिए श्री सरस्वती सदन के प्रयासों की सराहना की।

कवयित्री आकांक्षा गुप्ता ने वाणी वन्दना से काव्य गोष्ठी का शुभारम्भ किया। साथ ही विसंगति को उजागर किया- मेरा संघर्ष है इक उपन्यास-सा, किन्तु हिस्से में बस पटकथाएँ मिलीं।गीतकार दिव्यांश शुक्ला ने छलछन्दों पर अपने काव्य बाण चलाये- राजकुल पर ही दांव लगने लगे, एकलव्यों को फिर से छला जाएगा। कवि गीतेश दीक्षित ने स्वाभिमान और स्वावलम्बन को प्राथमिकता देते हुए कहा- जो गुरुओं ने किताबों से पढ़ाया याद है हमको, किसी की पीठ को सीढ़ी बन चढ़ना नहीं आया। 

शायर आलम रब्बानी ने अपनी रचना से राष्ट्रभाषा हिन्दी को संबल दिया- मैं तीर हूं तुलसी का मैं खुसरो की कमान हूं, हिन्दी है नाम मेरा मैं भारत की जबान हूं। कवि वैभव शुक्ल ने प्रेम से काव्य के अंकुरण को गाया- मन की पावन पृष्ठभूमि पर शब्दों की तुरपाई कविता, जिसने प्रेम किया है उसने एक बार तो गाई कविता। व्यंगकार अनिल मदन ने पूर्वजों के श्राद्ध की बजाय जीवित मां-बाप की सेवा को अपनी रचना से सही ठहराया- विदा हुए संसार से देकर प्यार अगाध, श्रद्धा ज्ञापन है उन्हें पितृपक्ष या श्राद्ध।

अध्यक्षता करते हुए गीतकार श्रवण कुमार मिश्र ‘राही’ ने गीत प्रस्तुत किया- आदमी जिन्दा है लेकिन मर गयीं संवेदनाएँ क्या करें, इसलिए तो व्यर्थ होकर लौट जातीं प्रार्थनाएँ। संचालन महेश मिश्र ने किया। कार्य समिति सदस्य गिरीश डिडवानिया, पुस्तकालयाध्यक्ष सीमा मिश्र, राधेश्याम सहित सदस्य व श्रोतागणों ने कविताओं का आनन्द लिया।

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