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नासिक स्थित एचएएल की एयरक्राफ्ट मैन्युफैक्चरिंग डिविजन में हर साल आठ लड़ाकू विमानों का निर्माण करने की क्षमता है। इसके अलावा बंगलूरू में तेजस की दो प्रोडक्शन लाइन स्थित हैं, जहां हर साल 16 लड़ाकू विमान बनाए जा रहे हैं।
भारत के स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस एमके1ए ने आज अपनी पहली उड़ान भरी। हिंदुस्तान एयरोनोटिक्स लिमिटेड के नासिक स्थित एयरक्राफ्ट मैन्युफैक्चरिंग डिविजन में यह उड़ान हुई। भारत में लड़ाकू विमान निर्माण की दिशा में यह अहम पल है। इस ऐतिहासिक पल का गवाह बनने के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी कार्यक्रम में मौजूद रहे। राजनाथ सिंह आज एलसीए एमके1ए की तीसरी प्रोडक्शन लाइन और साथ ही एचटीटी-40 एयरक्राफ्ट की दूसरी प्रोडक्शन लाइन का भी उद्घाटन करेंगे।
राजनाथ सिंह बोले- ये उड़ान, रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की मिसाल
इस मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, ‘आज, एचएएल की तीसरी उत्पादन लाइन का उद्घाटन हो रहा है, जो एलसीए एमके1ए तेजस बनाती है, और एचटीटी 40 विमान की दूसरी उत्पादन लाइन है। मैं एचएएल में सभी को बधाई देता हूं। नासिक एक ऐतिहासिक भूमि है जहां भगवान शिव त्र्यंबक के रूप में निवास करते हैं। नासिक आस्था, भक्ति, आत्मनिर्भरता और क्षमता का प्रतीक बन गया है। यहां एचएएल देश की रक्षा ताकत का प्रतिनिधित्व करता है। जब मैंने आज सुखोई Su-30, एलसीए तेजस और HTT-40 को उड़ान भरते देखा, तो मेरा सीना गर्व से चौड़ा हो गया। ये उड़ान, रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की मिसाल है। एचएएल ने भारत के लिए एक मजबूत स्तंभ के रूप में काम किया है। 60 से अधिक वर्षों से, एचएएल नासिक ने भारत की रक्षा निर्माण क्षमताओं को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है दूसरी ओर, यह विनाश का भी प्रतिनिधित्व करता है और इसमें शत्रुओं को समाप्त करने की शक्ति होती है।
घरेलू विनिर्माण 100 प्रतिशत तक ले जाने का लक्ष्य’
राजनाथ सिंह ने कहा, ‘एक समय था जब देश अपनी रक्षा जरूरतों के लिए दूसरे देशों पर निर्भर था और लगभग 65-70 प्रतिशत रक्षा उपकरण आयात किए जाते थे लेकिन आज, यह स्थिति बदल गई है; अब भारत 65 प्रतिशत विनिर्माण अपनी धरती पर कर रहा है। बहुत जल्द, हम अपने घरेलू विनिर्माण को भी 100 प्रतिशत तक ले जाएंगे।’ राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत का रक्षा निर्यात रिकॉर्ड 25 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जो कुछ साल पहले एक हजार करोड़ रुपये से भी कम था। रक्षा मंत्री ने कहा कि ‘हमने अब 2029 तक घरेलू रक्षा विनिर्माण में तीन लाख करोड़ रुपये और रक्षा निर्यात में 50 हजार करोड़ रुपये हासिल करने का लक्ष्य रखा है।