
राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़ नेटवर्क। समाजवादी पार्टी की सांसद डिंपल यादव पर मौलाना साजिद राशिदी की कथित आपत्तिजनक टिप्पणी ने न केवल राजनीतिक माहौल को गर्मा दिया है, बल्कि एक अजीब स्थिति भी पैदा कर दी है। भाजपा सांसदों ने इस टिप्पणी के विरोध में संसद परिसर में प्रदर्शन किया और मौलाना राशिदी पर कड़ी कार्रवाई की मांग की। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इस घटनाक्रम के राजनीतिक मायने क्या हैं? दरअसल, भाजपा लगातार महिला सुरक्षा और सम्मान के मुद्दे को अपनी राजनीतिक रणनीति का अहम हिस्सा बनाती रही है। डिंपल यादव पर की गई टिप्पणी के खिलाफ संसद में प्रदर्शन करके भाजपा ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि वह महिला नेताओं के सम्मान को लेकर किसी भी दल से परे खड़ी है। भाजपा के लिए यह मौका विपक्ष पर नैतिक दबाव बनाने का भी है, क्योंकि समाजवादी पार्टी के नेताओं पर पहले भी महिलाओं के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियों के आरोप लगते रहे हैं। इससे भाजपा महिला मतदाताओं में अपनी छवि मजबूत करना चाहती है, खासकर उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में।डिंपल यादव समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की पत्नी हैं और पार्टी का प्रमुख चेहरा भी। भाजपा का यह प्रदर्शन समाजवादी पार्टी को मजबूर करता है कि वह इस मुद्दे पर स्पष्ट और आक्रामक रुख अपनाए। यदि समाजवादी पार्टी अपेक्षाकृत नरम प्रतिक्रिया देती है, तो भाजपा इसे महिला सम्मान के मुद्दे पर उनकी कमजोरी के रूप में पेश कर सकती है। देखा जाये तो इस घटना ने समाजवादी पार्टी को धर्म संकट वाली स्थिति में डाल दिया है क्योंकि यदि वह डिंपल यादव के खिलाफ की गयी टिप्पणी का विरोध करती है तो मुसलमान समाजवादी पार्टी से नाराज हो सकते हैं।हम आपको बता दें कि समाजवादी पार्टी ने हाल ही में संसद परिसर स्थित मस्जिद में एक बैठक आयोजित की थी। इसी बैठक को लेकर सारा विवाद हुआ है। इस बैठक में सपा सांसद डिंपल यादव भी मौजूद थीं। मौलाना साजिद राशिदी ने सपा सांसद के पहनावे को मस्जिद के अनुकूल नहीं बताते हुए विवादित टिप्पणी की थी। भाजपा नेताओं ने आज संसद परसिर में प्रदर्शन के दौरान आरोप लगाया कि विपक्षी दल ऐसे कट्टरपंथी बयानों पर कमजोर प्रतिक्रिया देते हैं क्योंकि वे मुस्लिम वोट बैंक को नाराज़ नहीं करना चाहते। वहीं समाजवादी पार्टी ने मौलाना के बयान को निंदनीय बताते हुए भाजपा पर राजनीतिकरण का आरोप लगाया है।हम आपको यह भी बता दें कि लखनऊ पुलिस ने रविवार देर रात कट्टरपंथी इस्लामी धर्मगुरु मौलाना साजिद राशिदी के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कर ली है। उन पर आरोप है कि उन्होंने समाजवादी पार्टी की वरिष्ठ नेता और लोकसभा सांसद डिंपल यादव के खिलाफ एक टीवी चैनल और सार्वजनिक मंचों पर आपत्तिजनक, भड़काऊ और महिलाओं के प्रति अपमानजनक टिप्पणियां कीं। हम आपको बता दें कि गोमतीनगर के विकल्प खंड निवासी प्रवेश यादव ने शनिवार को पुलिस में लिखित शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में आरोप लगाया गया कि मौलाना साजिद ने मीडिया मंचों पर ऐसे बयान दिए, “जिनसे न केवल एक महिला की व्यक्तिगत गरिमा को ठेस पहुंची बल्कि समाज में धार्मिक और साम्प्रदायिक वैमनस्य फैलाने की कोशिश भी नजर आई।”इस बीच, डीसीपी (ईस्ट ज़ोन) शशांक सिंह ने बताया कि मौलाना साजिद राशिदी के खिलाफ विभूतिखंड थाने में भारतीय दंड संहिता (BNS) की धारा 79 (महिला की मर्यादा भंग करना), 196 (समूहों के बीच वैमनस्य फैलाना), 299 (धार्मिक भावनाएं आहत करना), 352 (जानबूझकर अपमान) और आईटी एक्ट की धारा 67 (इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से अभद्र सामग्री प्रसारित करना) के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। उन्होंने कहा कि “मामले की आगे जांच की जा रही है।” हम आपको बता दें कि मौलाना साजिद राशिदी पहले भी अपने कट्टर और विवादास्पद बयानों के लिए चर्चा में रहे हैं। फरवरी में दिल्ली विधानसभा चुनावों के बाद उन्होंने एक वीडियो में दावा किया था कि उन्होंने भाजपा को वोट दिया था। वैसे इसमें कोई दो राय नहीं कि मौलाना राशिदी की टिप्पणी इस बात का प्रमाण है कि कट्टरपंथ और स्त्री-विरोधी मानसिकता आज भी समाज में गहराई से मौजूद है। राजनीतिक दलों को चाहिए कि वे महिला गरिमा को लेकर स्पष्ट, ठोस और निष्पक्ष रुख अपनाएं, ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति इस तरह के आपत्तिजनक बयानों से पहले सौ बार सोचे।